ओ ओंकार आदि मैं जाना।लिखि औ मेटें ताहि ना माना।।
ओ ओंकार लिखे जो कोई।सोई लिखि मेटणा न होई।।
उज्जैन– जो ॐ सनातन में हमारे लिए श्रद्धा,आस्था,व्यवस्था का प्रतीक है वह इस कथित तांत्रिक महिला शिवानी दुर्गा उर्फ़ शिवानी दुर्गा के लिए फैशन और पैरों में कुचलने का विषय है.अपने आप को ज्योतिष और तंत्र में बड़ी-बड़ी उपाधियाँ लेने का दावा करने वाली इस महिला ने इस सार्वभौमिक शब्द का क्या हाल किया है यह चित्रों से आपके सामने प्रस्तुत है.
विदेशी सभ्यता की पोषक है शिवानी
शिवानी दुर्गा अपने पास आने और तंत्र क्रिया करवाने के इच्छुक भक्तों को तंत्र की सामग्री में शराब,गांजा और भांग ज्यादा लिखवाती है ताकि क्या पूजा वो करती है उसके बाद उस सामग्री का उपयोग वो और साथ रहने वाले दोनों लड़के करते हैं.साथ रहने वालों ने बताया की नशा करने के बाद वे लोग अश्लीलता की हद लांघ जाते हैं.गाली-गलौच और मार -पीट सामान्य बात है इस सबके लिए.
संत समाज अपने ही झगड़ों में उलझा है नहीं दे पा रहा ध्यान
सिंहस्थ में अखाड़ा परिषद् के संत स्वयं इतने परेशान है की उन्हें दुसरे क्या गड़बड़ कर रहे यह देखने की फुरसत नहीं.फर्जी और धोखेबाज लोग कहीं किन्नर अखाड़ा बना रहे जिसमें मुख्य भूमिका में किन्नर हैं ही नहीं ,कहीं स्वयंभू व्यवस्था साधू मांग रहे.जो अखाड़ों की व्यवस्था है उसे उसी रूप में बना कर रखनी चाहिए ताकि भ्रम ना उपजे.साधू या संत बनाने के लिए