नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि पुरस्कार वापसी का मामला अब अकादमी की पहुंच से बाहर हो गया है।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि पुरस्कार वापसी का मामला अब अकादमी की पहुंच से बाहर हो गया है।
साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय की तरफ से आयोजित काव्योत्सव के मौके पर तिवारी ने आईएएनएस से कहा, “अब यह मामला अकादमी और लेखकों के दायरे से बाहर चला गया है। यह एक राजनैतिक मुद्दा बन गया है। अब पुरस्कार वापसी के लिए फिल्मकारों की बारी आई है।”
तिवारी अपनी इस बात पर कायम हैं कि लेखकों ने पुरस्कार लौटाकर मुद्दे का राजनीतिकरण कर दिया।
कन्नड़ विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्या के मामले में अकादमी की देर से प्रतिक्रिया के मामले में उन्होंने कहा कि अकादमी उपाध्यक्ष ने हत्या की निंदा का बयान जारी किया था लेकिन किसी ने उसे संज्ञान में नहीं लिया।
काव्योत्सव में अशोक वाजपेयी और मंगलेश डबराल जैसे कवियों के न आने पर उन्होंने कहा कि काव्योत्सव के आयोजन के लिए अधिक समय नहीं मिला।
उनसे पूछा गया कि पुरस्कार वापस करने वाले कई कवि काव्योत्सव में क्यों नहीं दिखे। जवाब में उन्होंने कहा, “कवियों को चुनने में कोई एजेंडा काम नहीं कर रहा था। यह सूची तो दो महीने पहले ही बन गई थी।”
काव्योत्सव में भाग लेने वालों में से एक सुक्रीता पाल कुमार ने पुरस्कार लौटाने वालों को राजनीति से प्रेरित बताने पर आपत्ति जताई।
सुक्रीता ने आईएएनएस से कहा, “लेखकों की आवाज को इस तरह कम कर नहीं आंका जा सकता। यह राजनीति से प्रेरित नहीं है। हमें विवादों के बजाय बहस को मानवीय तौर तरीकों तक ले जाने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि लेखक पहले नहीं बोलते थे। आज उनकी आवाज ज्यादा तेज है। मानवता की आवाज को मजबूत होना चाहिए।”
सुक्रीता ने कहा कि अगर उनके पास कोई पुरस्कार होता तो वह भी इसे लौटाने पर विचार करतीं।
तेलुगू कवि वोलेती परवातीसम और उर्दू कवि अब्दुल अहद साज ने लेखकों की बातों का समर्थन तो किया लेकिन पुरस्कार लौटाने से असहमति जताई।