नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। हनोवर मेसे विश्व के सबसे बड़े उद्योग व्यापार मेले के रूप में स्थापित हो चुका है। हर साल इस औद्योगिक मेले का आयोजन जर्मनी के प्रमुख नगर हनोवर में किया जाता है। इस साल मेले का आयोजन हनोवर में 13 से 17 अप्रैल तक किया गया है।
नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। हनोवर मेसे विश्व के सबसे बड़े उद्योग व्यापार मेले के रूप में स्थापित हो चुका है। हर साल इस औद्योगिक मेले का आयोजन जर्मनी के प्रमुख नगर हनोवर में किया जाता है। इस साल मेले का आयोजन हनोवर में 13 से 17 अप्रैल तक किया गया है।
हनोवर मेसे 2015 का विषय ‘इंटीग्रेटेड इंडस्ट्री, जॉइन द नेटवर्क’ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ रविवार को संयुक्त रूप से मेले का उद्घाटन करेंगे। परंपरा के मुताबिक मेजबान देश और मेहमान देश के प्रमुखों द्वारा ही मेले का उद्घाटन किया जाता है।
भारत में जर्मनी के राजदूत माइकल स्टीनर के मुताबिक, “दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक मेले ‘हनोवर मेसे’ में अपनी ‘मेक इन इंडिया’ पहल तथा प्रौद्योगिकी कौशल को प्रस्तुत करने का भारत के पास एक बेहतरीन मौका होगा।”
स्टीनर ने पिछले बुधवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि मेले में मोदी के साथ पांच केंद्रीय मंत्री और तीन मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे, जबकि 350 से अधिक कंपनियां हिस्सा लेंगी।
हनोवर मेसे की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, मेले में कारोबार एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी वैश्विक कॉर्पोरेट हस्तियां, औद्योगिक वैज्ञानिक एवं नीति निर्माता शिरकत करते हैं।
वेबसाइट के अनुसार, इस बार मेले में 70 देशों के 6,500 प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं। इसके पहले वर्ष 2014 में मेले में 100 से अधिक देशों के 180,000 से अधिक लोगों ने शिरकत की थी। इस बार आयोजकों को इससे अधिक लोगों के मेले में पहुंचने की संभावना है।
हनोवर मेसे का आयोजन हर साल होता है, लेकिन इस साल मेले में साझेदार देश के रूप में भारत के जुड़ने की वजह से यह आयोजन वैश्विक मंच पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी इस वैश्विक मंच के जरिए अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को दुनियाभर में पहुंचाना चाहते हैं।
वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मेले में भारत के 12 राज्यों सहित 300 से अधिक कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। देश की दिग्गज कंपनियों के कई सारे मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने भी मेले में शामिल होने की पुष्टि की है। इस मंच का उपयोग भारतीय कंपनियां यूरोपीय देशों में अपनी साख मजबूत करने के लिए करेंगी।
मेक इन इंडिया अभियान को दुनिया तक सही तरीके से पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (डीआईपीपी) को प्रमुख एजेंसी के तौर पर नियुक्त किया है, जिसने मेले में भारतीय मंडप (पवैलियन) तैयार किया है। इसके अलावा देश के प्रमुख औद्योगिक संगठन सीआईआई और फिक्की भी इससे जुड़ रहे हैं।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) निर्मला सीतारमण ने कहा है, “भारतीय मंडप को डीआईपीपी द्वारा इस लिहाज से तैयार किया जा रहा है, ताकि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के भारतीय पोर्टफोलियो के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को इसमें शामिल करते हुए भारत की छवि पेश की जा सके।”
वेबसाइट के अनुसार, हनोवर मेसे का पहला आयोजन 1947 में जर्मनी के लात्जन शहर के एक कारखाने की इमारत में किया गया था। ब्रिटेन की सैन्य सरकार ने जर्मनी में युद्ध के बाद आर्थिक लाभों को बढ़ावा देने के लिए इसका आयोजन किया था। इसके बाद से हर साल इसका आयोजन होता आ रहा है। इस मेले में प्रति वर्ष तकरीबन विश्व के 6,500 प्रदर्शक और 250,000 आगंतुक शिरकत करते हैं।
मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की ब्रांडिंग जर्मनी में भी जोर-शोर से की जा रही है, ताकि दुनियाभर को इस अभियान से अवगत कराया जा सके।
स्टीनर के अनुसार, “भारत के मेक इन इंडिया के शेर वाले लोगो जर्मनी में हर जगह, हवाईअड्डों व सार्वजनिक स्थानों पर देखे जा सकते हैं।”
भारत सरकार ने हनोवर मेले में साझेदार देश के रूप में मेक इन इंडिया पहल के तहत देश में निवेश लाने पर ध्यान केंद्रित किया है। 12 अप्रैल को संयुक्त रूप से मेले का उद्घाटन करने के बाद 13 अप्रैल को मेले के हॉल नंबर छह में भारतीय मंडप (पवैलियन) का उद्घाटन होगा।
हालांकि इससे पहले भी वर्ष 2006 में भारत हनोवर मेले में प्रमुख भागीदार देश रह चुका है, लेकिन उस समय भारत इसका लाभ भुनाने में असफल रहा था। आज पूरा विश्व भारत की ओर उम्मीद की नजरों से देख रहा है, क्योंकि उन्हें भारत का बाजार ही नहीं बल्कि इसकी प्रतिभा भी चाहिए।