मुंबई, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। फिल्मकार हंसल मेहता का कहना है कि वह भले ही इस बात से निराश हैं कि ‘अलीगढ़’ को राष्ट्रीय पुरस्कार के योग्य नहीं समझा गया, लेकिन वह इस फैसले का सम्मान करते हैं। हालांकि उन्होंने समलैंगिकता को लेकर 64वें राष्ट्रीय पुरस्कार के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष प्रियदर्शन के विचारों की निंदा की।
मेहता ने शुक्रवार को 64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के बाद निराशा व्यक्त की, लेकिन उम्मीद जताई कि फिल्म के एलजीबीटीक्यू अधिकारों पर चर्चा के बहस के उद्देश्य को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
एक दिन बाद उन्होंने ट्वीट किया, “राष्ट्रीय पुरस्कारों को लेकर मेरी निराशा व्यक्तिगत है और यह किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है। मैं मानता हूं कि निर्णायक मंडल ने सही चुनाव किया होगा।”
उन्होंने कहा, “निर्णायक मंडल की नजर में ‘अलीगढ़’ उनके पैमाने पर योग्य नहीं रही होगी, जैसे कि पिछले साल ‘लन्चबॉक्स’ को इसके लिए नहीं चुना गया, जबकि ‘शाहिद’ को दो राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए। मैंने तब भी शिकायत नहीं की थी और अब भी नहीं कर रहा।”
उन्होंने कहा, “लेकिन जिस बात से तकलीफ हुई वह यह कि अध्यक्ष जिनका मैं सम्मान करता हूं और जिनकी फिल्मों का मैं आनंद उठाता हूं, उनका कहना है कि ‘फिल्म देखने के दौरान हमें अहसास हुआ कि बॉलीवुड की काफी फिल्में समलैंगिकता पर आधारित हैं। इन फिल्मों में सामाजिक समस्याएं उजागर नहीं की जा रहीं, जबकि क्षेत्रीय सिनेमा में सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बन रही हैं।”‘
उन्होंने कहा, “प्रियदर्शन सर, ‘अलीगढ़’ आपके और निर्णायक मंडल के पैमाने पर खरी नहीं उतरी होगी। मैं यह स्वीकार करता हूं। लेकिन आपके इस विचार से निराशा हुई कि समलैंगिकता कोई सामाजिक मुद्दा नहीं है।”