स्वीटज़रलैण्ड के बैंकों में 1955 से पहले खोले गए, ऐसे हज़ारों खाते मिले हैं, जिनका कभी उपयोग नहीं किया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह नाज़ियों के उस धन का पता लगाया जा सकता है, जो उन्होंने द्वितीय विश्व-युद्ध के ख़त्म होने से पहले इन बैंकों में जमा करा दिया था। बात इन बैंकों में खोले गए सभी खातों की हो रही है, चाहे वे खाते स्वीटजरलैण्ड के निवासियों ने खोले हों या विदेशियों ने।
बैंकों ने यह कोशिश नहीं की है कि सिर्फ़ नाज़ियों के खातों का ही पता लगाया जाए।
’बैंक की गोपनीयता’ का कानून स्वीटजरलैण्ड में 1937 में लागू किया गया था, जब नाज़ीवादी जर्मनी में यहूदी परिवारों का धन-सम्पत्ति जब्त कर रहे थे। इस तरह उन्हें सम्पत्ति जर्मनी से बाहर ले जाकर स्वीटजरलैण्ड में छिपाने का मौक़ा मिल गया था।