नई दिल्ली, 3 नवंबर – केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा मिशन (एनएचएएम) के तहत सरकार समग्र गुणवत्तापरक मानकों तथा उपभोक्ताओं की सुरक्षा पर नजर रखने के लिए एक विनियामक प्राधिकरण संस्था बनाएगी, जिसके पास समस्त अधिकार होंगे।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में गुणवत्ता पर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गुणवत्ता और संख्या दोनों ही परस्पर बने रहने चाहिए।
उन्होंने कहा कि एनएचएएम स्वास्थ्य की पहुंच के मामले में वृहद आकार का होगा तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा इसमें एक सुदृढ़ घटक होगा। जहां एक ओर भारत संख्या के मामले में नए युग में प्रवेश करेगा, वहीं दूसरी ओर गुणवत्ता से भी कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
हर्षवर्धन ने खुलासा किया कि प्रो. रंजीत राय चौधरी की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ निकाय ने सिफारिश की है कि यदि लोगों को सुविधाएं प्रदान करने में कमियां रहती हैं तो एनएचएएम को इसके लिए जवाबदेह बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसके लिए उपभोक्ता सुरक्षा का सिद्धांत लागू किया जाएगा। मंत्री ने यह बताया कि सुरक्षा, कार्यसाधकता तथा सकारात्मक रोगी अनुभव का प्रमुख स्थान रहेगा।
उन्होंने कहा, “निजी सुविधा की पहचान विश्वसनीयता भरी और किसी सरकारी सुविधा की पहचान सुस्ती एवं लापरवाही भरी क्यों होनी चाहिए? अब नई संस्कृति को अपनाने का वक्त आ गया है। मैं यह चाहता हूं कि जब एनएचएएम पर अगले साल अमल होगा तो पारदर्शिता, दक्षता, करुणा की भावना और जवाबदेही जन स्वास्थ्य प्रणाली के प्रमुख आधार स्तंभ बनें।”
हर्षवर्धन ने कहा कि स्वच्छ भारत केवल सांकेतिक स्वच्छता के बारे में ही नहीं है। इसका अर्थ है फिर बल देना तथा आत्म शुद्धि। हम इसे जागरूकता के तौर पर लें तथा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाएं जिससे कि हम विश्व को यह सिद्ध कर सकें कि भारत के पास भी विश्व स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली हो सकती है।
हर्षवर्धन ने रोगियों से फीडबैक लेने के महत्व को उजागर किया। रोगी और उसका परिवार स्वास्थ्य प्रणाली के बारे में क्या सोचता है, उनके अनुभवों के आधार पर सेवाओं में और सुधार लाया जा सकता है।