कोलकाता, 26 सितम्बर – त्योहारी सीजन के दौरान यूं तो बॉलीवुड गानों को बजाने का चलन है, लेकिन यहां कुछ श्रद्धालु 100 साल पुराने भक्ति गीतों का डिजिटलीकरण कर ऐसे गीतों को बचाने का अथक प्रयास कर रहे हैं, जो दुर्गापूजा सरीखे उत्सवों की याद दिलाते हैं।
पश्चिम बंगाल में शारदीय गीतों का रिवाज है, जो बॉलीवुड गाने के शौकीन युवाओं के बीच अप्रचलित होते जा रहे हैं। ये शारदीय गीत त्योहारी सीजन विशेषकर दुर्गा पूजा के दौरान जोश का संचार करते हैं।
सबसे पहली दुर्गापूजा अलबमों में से एक ‘शरदावली’ वर्ष 1914 में द ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया द्वारा रिलीज की गई थी। कंपनी ने विशेष शारदीय गीतों को रिलीज करने की परंपरा शुरू की थी।
मूल गीतों का डिजिटलीकरण करने की कमान वीवर्स स्टूडियो सेंटर फॉर द आर्ट्स और बांग्ला ग्रामोफोन रिकॉर्डिग विशेषज्ञ सुशांत कुमार चटर्जी ने अपने हाथों में ली है।
सुशांत ने आईएएनएस को बताया, “उन दिनों ग्रामोफोन या विनाइल रिकॉर्ड्स के अलावा अन्य किसी प्रारूप का प्रचलन नहीं था। एक दशक पहले संगीत यंत्रों का इस्तेमाल कैसा होता था और रिकॉर्डिग प्रक्रिया में चंद मिनटों में कलाकार कैसे उनका इस्तेमाल करते थे, इन सब चीजों का संरक्षण करने की जरूरत है, क्योंकि वे विशिष्ट हैं।”
अगले कुछ महीनों के दौरान यह प्रयास शुरू हो जाएगा और अगर स्कूलों की रुचि हुई तो संभवत: स्कूली बच्चों को इतिहास में विशेष स्थान रखने वाले ये गीत सुनने को मिलेंगे।
स्टूडियो के दर्शन शाह ने आईएएनएस को बताया, “मान्यताओं व आदर्शो से भरपूर ये गीत दुर्गापूजा, कालीपूजा और अन्य त्योहारों में मशहूर थे, जो डिजिटलीकरण प्रक्रिया का हिस्सा होंगे। हम उन लोगों को शामिल कर रहे हैं, जो इस प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं।”
दुर्गापूजा उत्सव 29 सितंबर से 3 अक्टूबर तक चलेगा।