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सौर तकनीशियनों के दस्ते को प्रशिक्षित करेगा गुजरात

के. जयरामण

के. जयरामण

बेंगलुरू, 17 जनवरी (आईएएनएस)। कई राज्य सरकारों के छत पर सौर ऊर्जा की तरफ आकर्षित होते जाने से सौर तकनीशियनों की आवश्यकता भी तेजी से बढ़ रही है।

श्रम शक्ति की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए गांधीनगर में स्थित गुजरात ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रबंधन संस्थान (जीईआरएमआई) ने 10,000 पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए सौर छत कार्यक्रम के तहत प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरू किया है।

जीईआरएमआई के निदेशक टी. हरिनारायण ने दूरभाष पर हुई बातचीत में आईएएनएस को बताया, “देश भर में छत पर फोटोवोल्टिक प्रणाली स्थापित करने के लिए विकसित कौशल और शिक्षित श्रम शक्ति की चुनौतियों से निपटने के लिए यह कार्यक्रम तैयार किया गया है।”

उन्होंने कहा कि नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय का 2022 तक 40,000 मेगावाट का छत सौर प्रणाली स्थापित करने का लक्ष्य है और कई राज्यों ने इसी प्रकार के कार्यक्रम और नीतियां घोषित की हैं।

हरिनारायण ने कहा, “2900 मेगावाट सौर स्थापित किए जाने के लक्ष्य के मुकाबले आज भारत में केवल 300 मेगावाट सौर फोटोवोल्टिक ही छत पर स्थापित हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि छत सौर प्रणाली अत्यंत आकर्षक हैं क्योंकि इसमें अतिरिक्त भूमि का इस्तेमाल करने की जगह पहले से ही मौजूद छत का ही इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने कहा, “इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा पैदा की जाती है इसलिए पारेषण और वितरण क्षति को समाप्त कर ऊर्जा के लिहाज से उपभोक्ता को आत्मनिर्भर बनाता है।”

जीईआरएमआई ने गांधीनगर शहर में 5 मेगावाट सौर छत बनाए हैं और वडोदरा सहित पांच और शहरों में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की ओर अग्रसर है।

अधिकृत सूत्रों के अनुसार, यदि गुजरात मॉडल को दिल्ली में प्रयुक्त किया जाता है तो इसके तहत 50 से 100 मेगावाट आपूर्ति की क्षमता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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