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सोशल मीडिया पर चमका बिहार का पिछड़ा गांव चनका

पूर्णिया, 17 मार्च (आईएएनएस)। किसी गांव में जाने के लिए पक्की सड़क न हो और न ही सभी टोलों में बिजली की सुविधा हो, फिर भी ऐसे गांव की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही हो तो इस पर आप आश्चर्य ही करेंगे, मगर यह हकीकत है।

पूर्णिया, 17 मार्च (आईएएनएस)। किसी गांव में जाने के लिए पक्की सड़क न हो और न ही सभी टोलों में बिजली की सुविधा हो, फिर भी ऐसे गांव की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही हो तो इस पर आप आश्चर्य ही करेंगे, मगर यह हकीकत है।

बिहार के पूर्णिया जिले के चनका गांव में जाने के लिए भले ही पक्की सड़क न हो और वहां के कई टोलों के लोग आज भी बिजली आने की बाट जोह रहे हों, लेकिन इस गांव की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हो रही है। यह गांव फेसबुक, ट्विटर और ब्लॉग के जरिए खूब सुर्खियां बटोर रहा है।

पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड के छोटे से गांव चनका को पड़ोसी जिले के लोग भी एक वर्ष पूर्व तक नहीं जानते थे, लेकिन पिछले एक वर्ष से फेसबुक पर इस गांव की तस्वीरों के साथ किसानों की बातें भी खूब हो रही हैं और लोग इन पोस्टों को पसंद भी कर रहे हैं।

चनका गांव में अभी तक पक्की सड़क नहीं पहुंची है। बिजली भी हर टोले में नहीं है। इन तमाम विरोधाभासोंके बीच यह गांव सोशल मीडिया पर अपना स्थान बना चुका है।

गांव के लोगों का कहना है कि इंटरनेट के कारण ही यह गांव आज लोगों की नजर में आ गया है। सोशल मीडिया पर जब इस गांव की चर्चा तेज होने लगी, तब इस वर्ष जनवरी में ‘सोशल मीट’ का भी यहां आयोजन किया गया। 18 जनवरी को चनका गांव में फेसबुक, ट्विटर और ब्लॉग की दुनिया से जुड़े लोग इकट्ठा हुए और इस गांव में ‘फेसबुक की चौपाल’ लगी थी।

इस गांव को सोशल मीडिया में लोकप्रिय बनाने का श्रेय गांव के ही किसान गिरींद्र नाथ झा को जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम कर चुके गिरींद्र वर्तमान समय में नई पद्धति से गांव में खेती कर रहे हैं।

गिरींद्र ने आईएएनएस को बताया, “विकास नहीं होने का रोना रोने से अच्छा है कि अपने स्तर पर कुछ अलग काम करें। मैंने इसी कड़ी में सोशल मीडिया मीट का आयोजन किया गया था।”

गिरींद्र कहते हैं कि भले ही इस गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं पहुंची हो, लेकिन 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम की पहुंच इस गांव तक है और इसी के जरिए चनका गांव को देश और विदेश में रह रहे लोगों से परिचय करवा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि 20 मार्च को पत्रकार ज़े सुशील और उनकी कलाकार पत्नी मीनाक्षी झा भी गांव आने वाले हैं।

गिरींद्र ने बताया कि पिछले दिनों इस गांव में यूनिसेफ के सौजन्य से ‘ग्राम्य फिल्म महोत्सव’ का आयोजन किया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय साइकिल चालक जोड़ी डेविड आओर और लिंडसे फ्रेनसेन भी चनका गांव पहुंचकर यहां के किसानों से मुलाकात कर चुके हैं। इस क्रम में उन्होंने यूट्यूब के जरिए किसानों को नए उपकरणों से परिचय भी करवाया था।

गिरींद्र की चाहत चनका गांव को आधुनिक गांव बनाने की है। वह कहते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ नारे को गांव तक पहुंचाने की जरूरत है। उनका मानना है कि चनका गांव में विकास की किरणें पहुंचने में भले ही देर हो, लेकिन तब तक इस सोशल मीडिया के सहारे इस गांव को लोकप्रिय तो बनाया ही जा सकता है।

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