लंदन, 6 जनवरी (आईएएनएस)| सोशल मीडिया पिछले कुछ समय से तेजी से आतंकवादी संगठनों का हित साधने का मंच बनकर उभरा है। एक शीर्ष आतंकवादी संगठन के कमांडर ने वाणिज्यिक नेटवर्किं ग साइट ‘लिंक्डइन’ के इस्तेमाल के जरिये जिहादियों की भर्ती की बात कही है। हाल ही में मीडिया में आई रपटों से यह जानकारी मिली। समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ’ के मुताबिक, जमात-उल-अहरार आतंकवादी संगठन के प्रवक्ता अहसानुल्लाह अहसान के लिंक्डइन पर 69 लोगों से संपर्क हैं, जिनका इस सोशल साइट पर काफी बड़ा नेटवर्क है।
अहसान ने अपनी पहचान छिपाने की बजाय अपने अकाउंट में खुद को खुले तौर पर जमात-उल-अहरार का प्रवक्ता घोषित किया है।
अहसान ने खुद को स्वनियोजित के रूप में पेश किया है और यहां तक कि अपनी कुशलताओं में उसने जिहाद और पत्रकारिता का जिक्र किया है।
इसके अलावा अहसान ने अपने स्कूल, रोजगार का ब्यौरा और भाषाओं से संबंधित जानकारी भी मुहैया कराई है। अहसान विश्व के सबसे कुख्यात आतंकवादी नेता के रूप में पहचाना जाता है।
अगस्त 2014 में जमात-उल-अहरार, तहरीक-ए-तानिबान (टीटीपी) से अलग हो गया था। टीटीपी 16 दिसंबर को पाकिस्तान के पेशावर में सैनिक स्कूल पर हुए भयावह हमले में भी शामिल थी, जिसमें 140 बच्चों सहित कुल 150 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पाकिस्तानी प्रशासन ने तालिबान द्वारा शांति के नोबेल से पुरस्कृत किशोरी मलाला यूसुफजई पर जानलेवा हमले के प्रयास की जिम्मेदारी लेने के बाद अहसान पर 10 लाख डॉलर का इनाम रखा था।
मलाला पर हमले के बाद अहसान ने कहा था, “वह (मलाला) पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित थी। वह तालिबान के खिलाफ बोल रही थी और उसने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को अपना आदर्श बताया। वह युवा थी, लेकिन वह पश्तून क्षेत्र में पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा दे रही थी।”
उस समय अहसान टीटीपी का प्रवक्ता था। पिछले साल, अहसान ने टीटीपी के अन्य पूर्व कमांडरों के साथ मिल कर जमात-उल-अहरार की स्थापना की।
जमात-उल-अहरार का ही एक अन्य नेता ओमर खालिद खोरासानी विश्व का सबसे निर्दयी आतंकवादी माना जाता है और निर्दयता की वजह से इसकी तुलना इस्लामिक स्टेट (आईएस) के नेता अबू बकर अल-बगदादी से की जाती है।
लिंक्डइन पर अहसान की यह प्रोफाइल, साइट के लिए बेहद शर्म की बात है। जिहाद और आतंक को बढ़ावा देने के लिए फेसबुक और ट्विटर जैसी अन्य सोशल नेटवर्किं ग साइटों की भी आलोचना होती रही है।
मीडिया रपटों के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में भी जिहादियों ने ट्विटर पर अपने पास ‘खतरनाक बम’ और परमाणु हथियारों के होने की बात कही थी।
दिसंबर में आई एक रपट के मुताबिक, आईएस ने अगवा किए गए जॉर्डन के पायलट की हत्या के लिए ट्विटर पर हत्या के तरीकों को लेकर सुझाव मांगे थे।
पिछले वर्ष अक्टूबर में जमात-उल-अहरार ने इस्लामिक धर्मगुरु अंजेम चौधरी और अन्य आठ ब्रिटिश जिहादियों की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए ब्रिटेन पर हमले की धमकी तक दी थी।