अलीपुर (रायबरेली)। प्रदेश के गाँवों में बिजली की किल्लत कितनी भी बड़ी समस्या हो, लेकिन रायबरेली के कुछ गाँवों ने इस संकट से छुटकारा पा लिया है।
रायबरेली जि़ला मुख्यालय से 30 किमी दूर उत्तर दिशा में सतांव ब्लॉक के अलीपुर गाँव में घुसते ही घरों की छतों पर सफेद रंग की बड़ी-बड़ी सौर ऊर्जा की छतरियां दिखाई देने लगती हैं। गाँव के ज्यादातर परिवारों ने सौर उर्जा संयंत्र लगवाए हुए हैं। अलीपुर निवासी रामभरन वर्मा (44 वर्ष) बताते हैं, ”महीने बीत जाते थे पर बिजली क ा दर्शन नहीं होता था। परेशान गाँववालों ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की मदद से 150 वॉट का सोलर पैनल लगवा लिया। आज पूरे गाँव में 30 से ज्यादा लोग इस सुविधा का फायदा उठा रहे हैं।”
भारत में सोलर पावर मिशन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011 में चलाए गए जवाहरलाल नेहरु नेशनल सोलर मिशन के तहत वर्ष 2022 तक देश में 20,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। मिशन के अंतर्गत नवंबर 2014 तक लगभग 2970 मेगावाट बिजली का उत्पादन सोलर ऊर्जा से हुआ। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी भागीदारी रही।
अलीपुर ग्राम सभा में लगे सौर संयंत्रों के बारे में ग्राम प्रधान राम बहादुर बताते हैं, ”दो वर्ष पहले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के सहयोग से ‘वारी सिनर्जी प्राइवेट लिमिटेड’ कम्पनी ने गाँव में सोलर पैनल लगवाए थे। इसमें पूरे गाँव में 27 सोलर पैनल लगे थे।” वो आगे कहते हैं, ”इन संयत्रों को लगवाने के लिए हर घर से 30 हज़ार रुपए लिए गए थे। कर्ज लेने वाले सभी परिवारों को ढाई सौ की किश्त हर माह बैंक में जमा करनी पड़ती है। इसे अगले पांच साल तक जमा कराना होगा।”
अलीपुर में सौर संयंत्रों के लगने से ग्रामीणों में बहुत उत्साह है। लालटेन व इमरजेंसी लाइटों को लोगों ने घर के एक कोने में रख दिया है। सोलर पैनेल की ओर इशारा करते हुए अलीपुर गाँव की रागिनी वर्मा (31 वर्ष)बताती हैं, ”रात में सिर्फ दो घंटे ही बिजली आती है पर सोलर पैनल लग जाने से आराम है बच्चों की पढ़ाई में भी कोई दिक्कत नहीं होती। एक बार की चार्जिंग में पूरी रात दो पंखे और लाइट आराम से चल जाते हैं। बारिश में थोड़ी दिक्कत होती है।”
भारत में सौर ऊर्जा के विकास को देखते हुए मौजूदा एनडीए सरकार ने नेशनल सोलर मिशन के वर्ष 2022 तक के निर्धारित लक्ष्य 20,000 मेगावाट बिजली उत्पादन को बढ़ा कर 100,000 मेगावाट कर दिया है। देश के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में सौर उर्जा को बढ़ावा देने को मिशन के अंतर्गत देश के कई राज्यों जैसे- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में आरंभिकतौर पर सोलर पार्क व अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट्स लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
हाल ही में गाँव के बैंक की मदद से अंशू चौधरी (24 वर्ष) ने भी अपने घर पर 150 मेगावाट का सौर संयंत्र लगवाया है। अंशू चौधरी बताते हैं, ”गाँव में लाइट न रहने से मोबाइल व लैपटॉप चार्ज नहीं हो पाते थे। घर में सोलर पैनल लगने से बिना लाइट के ही चार्जिंग हो जाती है। अब रात में घर पर लाइट रहने से कॉलेज का काम समय पर पूरा कर लेता हूं।” ”वर्ष 2012 में अलीपुर ग्राम सहित आसपास के कई गाँवों (आशानंदपुर, अहमदपुर, दैदोर, टिकरा, नगदिलपुर) में 75 व 150 मेगावाट के सोलर प्लांट लगाए गए थे। अभी तक बैंक से 145 प्लांट लगवाए जा चुके हैं।” प्रदीप राज शुक्ल प्रबंधक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, अहमदपुर (रायबरेली) बताते हैं। ”किसी भी ग्राम निवासी का आवेदन मिलने पर हम उसकी सूचना सोलर पावर प्लांट कंपनी को देते हैं, कंपनी से आया टेक्नीशियन लाभार्थी के घर पर संयंत्र लगा देता है।” प्रदीप राज शुक्ल आगे बताते हैं।
गाँव में सोलर संयंत्रों के लगने से रात में सड़कों पर उजाला रहता है। इस सुविधा से युवाओं के साथ-साथ गाँव के बुज़ुर्ग किसान भी खुश हैं। अलीपुर गाँव के ही 52 वर्षीय किसान धर्मेंद्र चौधरी बताते हैं,”पहले रात बिरात खेत में पानी लगाने जाना पड़ता था। अब घर पर धूप वाली छतरी लगवा ली है, जिससे हम अपनी इलेक्ट्रानिक लैंप भी चार्ज कर लेते हैं।”
सतांव ब्लॉक के सोलर संयंत्रों के लगने से गाँव वाले बताते हैं कि अगर आप रात में इन गाँवों से सटे हाईवे से गुजरे तो गाँव के घरों में जलने वाले बल्बों की रोशनी अच्छी लगती है। ग्राम निवासी संजय बताते हैं,” हमारे गाँव में रात में बिजली बराबर रहती है। हमारा देखी-देखा पड़ोस के गाँवों ने भी सोलर पैनल लगवा लिए हैं।” मुस्कुराते हुए संजय बताते हैं,”पहले रात में टीवी पर आने वाली फिल्में नहीं देख पाते थे, लेकिन अब सोलर से सब चलता है।”
गाँव कनेक्शन से साभार