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 सूखे की समस्या मानवजनित आपदा : विशेषज्ञ | dharmpath.com

Thursday , 28 November 2024

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सूखे की समस्या मानवजनित आपदा : विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। देश में सूखे की समस्या से करीब 33 करोड़ की आबादी पीड़ित है और इसके समाधान के प्रति हमारा रवैया अपर्याप्त है। यह प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवजनित आपदा है। शुक्रवार को यहां सूखे पर हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने ये बातें कहीं।

गैर सरकारी संस्था एक्शनएड द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में तरुण भारत संघ के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा, “यह मानवजनित आपदा है। इसका एकमात्र समाधान समुदाय द्वारा संचालित विकेंद्रित जल नीति ही है। इसका समाधान प्रस्तुत करने से पहले हमें पहले किसानों के ज्ञान को सुनना चाहिए जो सूखे की समस्या से जूझ रहे हैं।”

एक्शनएड भारत में भूमि और प्राकृतिक संसाधनों को लेकर, छोटे और सीमांत किसानों को ध्यान में रखते हुए पारिस्थितिकीय कृषि तंत्र को बढ़ावा देने और भूमिहीन गरीबों के लिए काम करती है। यह संस्था मुख्य रूप से बुंदेलखंड, मराठवाड़ा और विदर्भ में सूखे से पीड़ित ग्रामीणों के लिए राहत कार्य चला रही है।

इस सम्मेलन में ‘डाउन टू अर्थ’ पत्रिका के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्र ने दावा किया, “मॉनसून और सूखे में कोई संबंध नहीं है। यह गंभीर स्थिति पानी के घटिया प्रबंधन का नतीजा है।” उन्होंने कहा, “पानी पर समुदाय का नियंत्रण स्थापित करने की मांग करने का समय आ गया है और सूखे का यही एकमात्र समाधान है।”

एकता परिषद के रमेश शर्मा ने कहा, “सूखे को लेकर सरकार की पहल अपर्याप्त है। यह स्पष्ट नहीं है कि सूखे के समस्या के समाधान की किसकी जिम्मेदारी है। हमारे यहां कई सारे कृषि संस्थान हैं, लेकिन हमारी बुनियादी शिक्षा प्रणाली में लंबे समय से सूखे से पीड़ित इलाकों की कृषि को लेकर संवेदनशीलता की कमी है।”

कृषि नीति विश्लेषक देवेंद्र शर्मा ने कहा, “कृषि को सूखा प्रतिरोधी बनाना होगा और इसके लिए फसलों की पद्धति में बदलाव लाना होगा। फसलों की पद्धति में परिवर्तन केवल एक उचित मूल्य नीति और व्यापार नीति के जरिए ही संभव है। हमारे नीति नियंताओं का जोर मुख्य रूप से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर है और वे सूखे के हालात पैदा होने पर उसकी अनदेखी करते हैं क्योंकि यह उनकी गणना में शामिल नहीं है। हमें पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का मूल्यांकन करने की जरूरत है।”

एक्शन एड के मुताबिक देश के 10 राज्यों के 254 जिलों के 2,55,000 गांव गंभीर सूखे की चपेट में हैं। इसके कारण पानी, कृषि, जीवन यापन, खाद्यान्न उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के अलावा करदाताओं पर भी गहरा असर पड़ा है।

पिछले दो सालों से कम हुई बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इस बात पर लगभग आम सहमति है कि सूखे की समस्या बारिश की कमी के कारण कम और भूजल के प्रयोग को लेकर गलत नीतियों और सिंचाई कार्यक्रमों की कमी के कारण ज्यादा हो रही है।

इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें प्रयास कर रही हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। लाखों लोग सूखे के कारण गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भूमिहीन और छोटे किसान हैं।

सूखे की समस्या मानवजनित आपदा : विशेषज्ञ Reviewed by on . नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। देश में सूखे की समस्या से करीब 33 करोड़ की आबादी पीड़ित है और इसके समाधान के प्रति हमारा रवैया अपर्याप्त है। यह प्राकृतिक आपदा नहीं, नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। देश में सूखे की समस्या से करीब 33 करोड़ की आबादी पीड़ित है और इसके समाधान के प्रति हमारा रवैया अपर्याप्त है। यह प्राकृतिक आपदा नहीं, Rating:
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