बेंगलुरू, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। बेंगलुरू में एक स्वीमिंग पूल में एक स्कूल के छात्र के डूबने के करण उसकी दर्दनाक एवं दुखद मौत के लिए स्वीमिंग पूल के निर्माण और रखरखाव में सुरक्षा मानकों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन जिम्मेदार है।
प्लम्बिंग उद्योग के विशेषज्ञों ने इस हादसे का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के स्वीमिंग पूल सुरक्षा मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं।
देश में प्लम्बिंग उद्योग की एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्था इंडियन प्लम्बिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधाकरण नायर ने कहा, “स्वीमिंग पूल आम लोगों के लिए अवकाश और खुशी के क्षणों में समय बिताने के लिए एक उत्कृष्ट स्थान माना जाता है। लेकिन यहां आने वाले काफी लोग इस बात से अनजान हैं कि ये स्विमिंग पुल मौत का संभावित कारण भी बन सकते हंै। ऐसा सुरक्षा मानकों के प्रति अपर्याप्त जानकारी या सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करने के कारण होता है।”
पिछले गुरुवार एक 11 वर्षीय छात्र की अपने अपार्टमेंट के परिसर में स्थित स्विमिंग पूल के वाटर सकुर्लेटरी सिस्टम में हाथ फंसने के कारण पानी में डूबने से मौत हो गई थी।
विश्व प्लम्बिंग परिषद (डब्ल्यूपीसी) के भी मौजूदा अध्यक्ष नायर ने कहा कि देश में निर्माण गतिविधियों के लिए दिशा निर्देश तैयार करने का कार्य भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को सौपा गया है, लेकिन इसके पास यहां तक कि स्वीमिंग पूल के निर्माण और रखरखाव के लिए तय वैश्विक मानकों पर अभी कोई भी प्रकाशन नहीं है और इसने स्वीमिंग पूल के निर्माण और रखरखाव के लिए कोई मापदंड तय नहीं किया है।
ऐसे तकनीकी प्रकाशन की सख्त जरूरत महसूस करते हुए, आईपीए ने यूनिफार्म स्वीमिंग पूल कोड – इंडिया (यूएसपीसी – 1) प्रकाशित किया है। इसे पिछले आठ दशकों से प्लम्बिंग और मेकैनिकल कोड के प्रकाशन में शामिल अमरीका आधारित एक प्रतिष्ठित संगठन इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ प्लम्बिंग एंड मेकैनिकल आफिसियल्स (आईएपीएमओ) के सहयोग से प्रकाशित किया गया है।
आईपीए की तकनीकी समिति में भारत के कुछ प्रमुख प्लम्बिंग और मेकैनिकल इंजीनियरिंग प्रोफेशनल पेशेवर भी शामिल हैं। आईपीए ने भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार आईएपीएमओ के यूनिफार्म स्वीमिंग पूल एवं स्पा कोड को संपादित और संशोधित किया है।
नायर ने कहा, “यूएसपीसी-1 के पास सुरक्षित स्वीमिंग पूल के निर्माण के लिए सभी व्यावहारिक सुझाव हैं, जो अमेरिकी कोड के अलावा पब्लिकेशन ऑफ स्वीमिंग पूल एंड अलायड ट्रेड एसोसिएशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का भी पालन करता है।”
उन्होंने कहा कि पेशेवर प्रतियोगिताओं में शामिल होने वाले स्वीमिंग के विशेषज्ञों के अलावा अन्य लोगों को पानी में 1.2 मीटर से अधिक गहराई में नहीं जाना चाहिए। बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पूल में पानी की गहराई 0.45 से 0.60 मीटर तक होनी चाहिए। पाइप संबंधित काम में पानी के वेग को सीमित रखने के लिए नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए, विशेषकर जब कोई व्यक्ति पूल के फर्श पर स्थित ड्रेन/आउटलेट फिटिंग की मरम्मत कर रहा हो।
आईपीए के अध्यक्ष ने कहा, “अभी हाल में जिस बच्चे के साथ स्वीमिंग पूल में दुर्घटना हुई, उसके हाथ को ‘सक्षन पाइप’ ने खींच लिया था। ऐसा ड्रेन/ आउटलेट फिक्सचर की गलत डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के कारण होने की सबसे अधिक संभावना है। इससे पहले भी स्वीमिंग पूल में दुर्घटनाएं हुई हैं जब महिला तैराकों के बाल इन पूल आउटलेट में उलझ गए।”
उन्होंने बताया, “ड्रेन/आउटलेट फिक्सचर रि-सकुर्लेशन पंप के सक्शन से सीधे जुड़े होते हैं। यदि पंप सक्शन से जोड़ने वाले फिक्सचर या पाइप का आकार गलत हो, तो पूल के फर्श पर फिक्सचर में खतरनाक उच्च वेग (इस मामले में सक्शन बल) हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “फिक्सचर भंवर रोधी डिजाइन के होने चाहिए और सुरक्षित जाली से ढका होना चाहिए। कम से कम ऐसे दो आउटलेट फिक्सचर होने चाहिए और हर फिक्सर को प्रवाह की दर के अनुरूप डिजाइन किया जाना चाहिए। तैराक भंवर प्रभाव की अनुभूति का आनंद लेने के लिए इन आउटलेट फिक्सचर के पास जाते हैं और उसके साथ छेड़छाड़ करते हैं। इसके कारण फिक्सचर या जोड़ने वाली पाइप आंशिक रूप से या पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती है, जिससे सक्शन प्रभाव खतरनाक ढंग से बढ़ सकता है। पूल के फर्श पर एक दूसरा फिक्सचर होने से इस खतरे पर काफी हद तक काबू पाने में मदद मिलेगी।”
नायर ने कहा कि अखबारों में पढ़ने पर यह भयावह लगा कि वहां के निवासियों और आग विभाग को पूल को खाली करने और बच्चे को निकलने के लिए बाल्टी और कुछ उपकरणों का उपयोग करना पड़ा। उन्होंने कहा, “पूल को खाली करने के लिए सिर्फ पंप के नजदीक पूल के प्लांट रूम में एक ड्रेन वाल्व को खोलना होता है। इससे पूल कुछ ही समय मंे खाली हो जाता है। यह दुखद घटना हमारी आंख खोलने के लिए काफी होना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि स्वीमिंग पूल के निर्माण के दौरान पर्याप्त सतह और पानी के नीचे प्रकाश, पूल में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए सुरक्षित और आसान साधन, पानी को उचित ढंग से फिल्टर करने और पूल के पानी को कीटाणु मुक्त करने जैसे कई अन्य एहतियाती उपाय भी किए जाने चाहिए।