नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)| दिल्ली के रहने वाले सुमित नागल ने रविवार को विंबलडन में बालक युगल वर्ग का खिताब जीतने के साथ ही इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवा लिया। वियतनाम के नैम होंग ली के साथ ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने के साथ ही 17 वर्षीय नागल गुमनामी के अंधेरों से अचानक समाचार पत्रों की सुर्खियों में छा गए।
देश के उदीयमान प्रतिभा नागल ने रविवार को ऑल इंग्लैंड क्लब के कोर्ट-1 में हुए फाइनल मुकाबले में होंग ली के साथ अमेरिका के रिली ओपेल्का और जापान के अकीरा सैंटिलान की जोड़ी को सीधे सेटों में 7-6(4), 6-4 से मात देकर खिताब हासिल किया।
सुमित ने विंबलडन के बालक एकल वर्ग में भी प्रवेश पाने में सफलता पाई, हालांक पहले ही दौर में उन्हें अर्जेटीना के जुआन पाब्लो फिकोविच के हाथों हार झेलनी पड़ी।
14 अगस्त, 1997 को हरियाणा के जैतपुर में जन्मे नागल बाद में राष्ट्रीय राजधानी के नांगलोई इलाके में बस गए। नागल के पिता सुरेश सेना में हवलदार रह चुके हैं और मां कृष्णा गृहिणी हैं। नागल की बहन साक्षी शौकीन की शादी हो चुकी हैं।
विंबलडन बालक युगल वर्ग के फाइनल मैच का सीधा प्रसारण चूंकि टेलीविजन पर नहीं हुआ, इसलिए नागल के परिजन इंटरनेट पर स्कोर देखते रहे।
साक्षी ने कहा, “मैच के आखिर में जब सुमित 5-4 से आगे चल रहा था, इंटरनेट अचानक बंद हो गया। मैं सोच रही थी कि आखिर स्कोर अपडेट होने में इतना समय क्यों लग रहा है। मैं मैच स्कोर को लेकर घबराई हुई थी और दो मिनट के बाद उसके नाम के आगे सही का निशान दिखाई देने लगा।”
साक्षी ने कहा, “मैं समझ गई कि वह जीत गया है। सभी खुशी से उछल पड़े और एकदूसरे के गले लग गए। रात भर में हमें मीडिया से फोन पर फोन आते रहे।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने बीती रात उससे बात की और उसने हमसे कुछ तस्वीरें साझा कीं। हम बेहद खुश हैं। मैच के दौरान जब भी ड्यूस की स्थिति आई, हमारे लिए बेचैन करने वाली रही, क्योंकि सुमित ड्यूस पर लड़खड़ा जाता है।”
सेना की नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद एक स्कूल में अध्यापक की नौकरी कर रहे नागल के पिता सुरेश ने नागल की जीत का श्रेय दिग्गज भारतीय खिलाड़ी महेश भूपति को दिया।
सुरेश ने बीते दिनों को याद करते हुए कहा, “सुमित पिछले सात वर्षो से खेल रहा है, लेकिन पिछले दो वर्षो से उसने भूपति से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। जब तक भूपति का साथ नहीं जुड़ा था, प्रायोजक हासिल करने में काफी कठिनाई आती थी। मैं टेनिस का दीवाना रहा हूं और टेनिस देखता रहा हूं और सुमित बहुत ही चपल था इसलिए मैंने उसे टेनिस खेलने के लिए प्रेरित किया।”
उन्होंने कहा, “सुमित सर्बिया के स्टार नोवाक जोकोविक का प्रशंसक है और जोकोविक भी रविवार को विंबलडन जीतने में सफल रहे। इसलिए मैं अभी से सुमित के भी एक दिन पुरुष एकल विंबलडन खिताब जीतने का सपना देखने लगा हूं। हम चाहते हैं कि वह एक दिन दुनिया का सर्वोच्च वरीय खिलाड़ी बने।”
दूसरी ओर नागल की मां कृष्णा ने कहा कि उन्हें सुमित की बहुत याद आती है और कई बार तो वह कई-कई सप्ताह तक उससे बात भी नहीं कर पातीं।
कृष्णा ने कहा, “मुझे मेरे बेटे की बहुत याद आती है। हम उससे मिल तक नहीं पाते, यहां तक कि कई बार में उससे बात तक नहीं हो पाती। मैं उससे मिलना चाहती हूं, लेकिन हम उसके साथ भला कैसे हो सकते हैं। कल जब वह बड़ा खिलाड़ी बन जाएगा, हम उसके साथ-साथ रहेंगे।”
सुमित के संघर्ष वाले दिनों को याद करते हुए कृष्णा कहती हैं कि वह प्रशिक्षण सत्र के लिए बस में उसके साथ जाती थीं। बस स्टॉप तक 1.5 किलोमीटर उन्हें पैदल चलना पड़ता था।
उन्होंने कहा, “मैं उसे उसके पहले ट्रायल पर भी साथ ही थी। वह उस समय सिर्फ 10 वर्ष का था जब हमसे दूर चला गया। मैं उससे कई बार महीना भर तक बात नहीं कर पाती थी।”
सुमित का जन्मदिन तो अगले महीने है, लेकिन जन्मदिन का जश्न मनाने का मौका एक महीने पहले ही आ गया।