दमिश्क, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। संकटग्रस्त सीरिया में विश्वविद्यालय के छात्रों ने बुधवार को संसदीय चुनाव में भाग लिया। उन्हें उम्मीद है कि प्रत्याशी उनके लिए नौकरी के अवसर मुहैया कराना सुनिश्चित करेंगे।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, दमिश्क विश्वविद्यालय के छात्रावासों में रहने वाले छात्र अपना वोट डालने के लिए कतारों में लग कर इंतजार करते नजर आए। इन छात्रों में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के कब्जे वाले क्षेत्रों के भी छात्र थे।
दक्षिणी प्रांत दारा की एक छात्रा नोरहान ने कहा कि सीरियाई युवाओं को उनके लक्ष्यों को पूरा कराने में सक्षम लोगों को चुनने के लिए चुनावों में हर हाल में भाग लेना चाहिए। दारा से ही पांच साल पहले लड़ाई शुरू हुई थी।
उसने कहा, “हम सभी को अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए चुनावों में शामिल होना चाहिए और इसका समर्थन करना चाहिए। हमें ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जो हमारी उम्मीदों के अनुसार आचरण करेगा, हमारा प्रतिनिधित्व करेगा और बेहतर भविष्य मुहैया कराने के लिए हमारी समस्याओं का समाधान करेगा।”
उसकी दोस्त सिहाम ने कहा कि जो लोग संवेदनशील जगहों से आते हैं उनके लिए चुनाव महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह इस सच्चाई के बावजूद कि उनका शहर बहुत पहले सरकार के नियंत्रण के बाहर हो चुका है, उन्हें अपने देश का होने का अहसास कराएगा।
उत्तरी प्रांत अल्लेपो से आए एक अन्य छात्र मुहम्मद ने कहा कि चुनाव संवैधानिक दायित्व है और देश के पुनर्निमाण के प्रयासों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
पांच साल के युद्ध के बाद हमें सीरिया के पुनर्निर्माण के लिए निश्चित रूप से मतदान में भाग लेना चाहिए। क्योंकि सीरिया को हमारी जरूरत है उसके युवकों की जरूरत है। हमें अनिवार्य रूप से इसमें भाग लेना चाहिए। केवल दूर से खड़ा होकर देखते नहीं रहना चाहिए।
सीरिया का संसदीय चुनाव बुधवार को शुरू हुआ। इसमें 250 संसदीय सीटों के लिए 3,500 उम्मीदवार मैदान में हैं।
स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे सीरिया के सरकार नियंत्रित इलाकों में 7300 मतदान केंद्र मतदान के लिए खोल दिए गए।
चुनाव उप समिति ने सरकार नियंत्रित इलाकों में मतदान के लिए अपनी पूरी तैयारी की घोषणा की थी।
गत फरवरी महीने में राष्ट्रपति बशर अल-असद ने 13 अप्रैल को संसदीय चुनाव कराने का आदेश दिया था।
सीरिया में नए संविधान को अपनाने के ठीक एक महीने बाद 2012 में संसदीय चुनाव हुआ था।
विपक्ष ने मौजूदा और पिछले चुनाव के दौरान बहिष्कार की घोषणा की थी।
राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीबी) के सदस्य मुंथर खद्दाम ने कहा है कि उनका संगठन दूसरी बार भी चुनाव का बहिष्कार करेगा।
उन्होंने कहा, “चुनाव असामान्य संदर्भ में हुआ है और यह जेनेवा वार्ता के राजनीतिक रास्ते के खिलाफ है।”
हालांकि सरकार के निष्ठावानों ने चुनाव कराने के फैसले के बारे में कहा कि यह इस बात का सबूत है कि दमिश्क अब भी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है। इन लोगों का मानना है कि चुनाव और जल्द फिर से शुरू होने वाली जेनेवा वार्ता अलग-अलग पथ हैं।
सरकार की ओर से मतदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के तहत दमिश्क की गलियां उम्मीदवारों के पोस्टरों से अटी पड़ी हैं।
हालांकि युद्ध से पहले के चुनावों में उम्मीदवार अपनी योजनाओं और नीतियों से लोगों को अवगत कराने के लिए टेंट लगाते थे। लेकिन इस बार सुरक्षा कारणों से उम्मीदवारों के कार्यक्रमों के उल्लेख के लिए इस तरह के सत्रों को रद्द कर दिया गया है। यही वजह है कि इस साल राजधानी दमिश्क और अन्य जगहों पर लोग केवल पोस्टरों के जरिए ही उम्मीदवारों को जानते हैं।