उत्तर पूर्व में विद्रोहियों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश के तहत सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव को पास करने जा रही है। इस प्रस्ताव में बीएसएफ और सशस्त्र सीमा बल में दो ऐसी बटालियनें बनाने की बात है, जिनमें सरेंडर कर चुके आतंकवादियों को भर्ती किया जाएगा।
मणिपुर और असम में सरेंडर करने वाले इन आतंकवादियों के लिए दो बटालियन बनाई जाएंगी। हर बटालियन में 750 जवान होंगे। जो आतंकवादी सरेंडर के समझौते पर दस्तखत करेंगे, उनके लिए सरकार ने भर्ती के नियमों में ढील देने का फैसला कर लिया है। मसलन, भर्ती की उम्र बढ़ाकर 35 साल करने और न्यूनतम शिक्षा आठवीं क्लास तक करने का प्रस्ताव है। उन्हें लिखित परीक्षा भी नहीं देनी होगी। लेकिन उम्मीदवारों को शारीरिक परीक्षा पास करनी होगी जिसमें 24 मिनट में 5 किलोमीटर दौड़ना शामिल है।
प्रस्ताव के मुताबिक अगर ये आतंकवादी सैनिक बनने के बाद अच्छा काम करते हैं तो उन्हें नियमित बटालियनों में जगह दी जा सकती है। उन्हें आगे पढ़ाई कर कम से कम 10वीं पास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि वे नियमित बटालियनों के लिए जरूरी मानकों पर खरे उतर सकें।
वैसे, सूत्र बताते हैं कि शुरुआत में इन्हें मोर्चे पर नहीं भेजा जाएगा और हथियार भी नहीं दिए जाएंगे। उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी और पढ़ाया जाएगा। उसके बाद उनके प्रदर्शन के आधार पर आगे काम दिया जाएगा।
एक सरकारी सूत्र ने बताया, ‘आने वाले कुछ हफ्तों में इस फाइल को कमिटी पास कर देगी। गृह मंत्री राजनाथ इसे पहले ही सहमति दे चुके हैं।’
एक सरकारी सूत्र ने बताया, ‘आने वाले कुछ हफ्तों में इस फाइल को कमिटी पास कर देगी। गृह मंत्री राजनाथ इसे पहले ही सहमति दे चुके हैं।’