बीजिंग, 15 मई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि अगर दोनों पक्ष अपनी साझेदारी की असली क्षमता का अहसास कराना चाहते हैं, तो भारत और चीन को सीमा विवाद को शीघ्र सुलझा लेना चाहिए।
अपनी चीन यात्रा के दूसरे दिन त्सिंगह्वा विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में मोदी ने कहा, “अगर हम अपनी साझेदारी की असाधारण क्षमता का अहसास कराना चाहते हैं, तो हमें झिझक व संदेह के मुद्दों का समाधान करना होगा, यहां तक कि हमारे संबंधों के बीच जो अविश्वास है, उसे भी।”
उन्होंने कहा, “सबसे पहले तो हमें सीमा संबंधी विवाद का निपटारा करना होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम दोनों लोग इस बात को मान्यता देते हैं कि यह इतिहास की विरासत है। भविष्य के हित में इसका समाधान हमारी साझा जिम्मेदारी है। हमें नए उद्देश्यों तथा दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि सीमा संबंधी मुद्दों का ऐसा समाधान होना चाहिए कि यह दोनों देशों के बीच के संबंधों को बदलकर रख दे, न कि नए विवाद का कारण हो।
उन्होंने कहा कि सीमा पर दोनों पक्ष शांति बरकरार रखने में सफल रहे हैं। मोदी ने कहा, “लेकिन सीमा क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में सदा अनिश्चितता का बादल मंडराते रहते हैं। ऐसा इसलिए है कि क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष यह नहीं जानता कि इन इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा कहां पर है। यही कारण है कि मैंने इसे स्पष्ट करने की प्रक्रिया फिर से शुरू करने का प्रस्ताव किया है।”
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आर्थिक विकास के लिए अगर भारत व चीन हाथ मिलाते हैं, तो एशिया किस प्रकार लाभान्वित होगा।
मोदी ने कहा, “बीते तीन दशकों में चीन की सफलता ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के स्वरूप को बदल दिया है।”
उन्होंने कहा, “अब भारत आर्थिक क्रांति के अगले मोर्चे पर है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में 80 करोड़ लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं, इस क्रांति के लिए भारत के पास जनसांख्यिकी है।
उन्होंने कहा, “भारत के आर्थिक परिवर्तन के लिए उनकी प्रेरणा, ऊर्जा, उद्यम तथा कौशल महत्वपूर्ण कारक होगा।”
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने अपनी नीतियों में सुधार के लिए कई सुधारवादी कदम उठाए हैं और ज्यादा से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए मार्ग खोला है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “इनमें बीमा, निर्माण, रक्षा तथा रेलवे जैसे क्षेत्र शामिल हैं।”
उन्होंने कहा, “हम अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे-सड़क, बंदरगाह, रेलवे, हवाईअड्डा, दूरसंचार, डिजिटल नेटवर्क तथा अक्षय ऊर्जा में निवेश में इजाफा कर रहे हैं।”
मोदी ने कहा कि विकास को बढ़ावा देने तथा किसानों की किस्मत को चमकाने के लिए भारत के कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “गरीबी को खत्म करने तथा गरीबों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हम पारंपरिक रणनीतियों व आधुनिक आर्थिक उपकरणों को एक साथ मिला रहे हैं।”
अपने भाषण की शुरुआत में मोदी ने चीन की एक कहावत का हवाला दिया, जिसके मुताबिक अगर आप साल के संदर्भ में सोचते हैं, तो एक बीज रोपिए, यदि 10 साल के संदर्भ में सोचते हैं, तो एक पेड़ लगाइए और 100 साल के संदर्भ में सोचते हैं, तो लोगों को सिखाइए।
मोदी गुरुवार शाम शियान से बीजिंग पहुंचे।
प्रधानमंत्री ली केकियांग ने शुक्रवार को उनका औपचारिक स्वागत किया।
प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद भारत व चीन ने 24 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।