नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि बीते महीने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ‘राजनैतिक दबाव’ में ‘अंधाधुंध तरीके से’ दस्तावेज जब्त किए थे।
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में ये बातें कही है। उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली सरकार का जवाब सीबीआई की उस याचिका पर मांगा था, जिसमें जांच एजेंसी ने निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दी है कि कुमार के दफ्तर से जब्त दस्तावेजों को एजेंसी दिल्ली सरकार को वापस करे।
निचली अदालत ने यह आदेश बुधवार को दिया था।
जवाब में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने सीबीआई की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया। सरकार ने कहा, “सीबीआई ने ओछी, आधारहीन, अफसोसनाक और गुणहीन याचिका कुंठित उद्देश्यों से दाखिल की है। इसे भारी दंड लगाकर रद्द किया जाना चाहिए।”
दिल्ली सरकार ने कहा कि जांच एजेंसी ने कुमार के दफ्तर पर अप्रत्याशित जल्दबाजी में छापा मारा था। छापा न केवल गैरजरूरी था, बल्कि इससे प्रतिशोध की गंध भी आ रही थी।
सीबीआई ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा है कि विशेष अदालत इस बात का संज्ञान नहीं ले सकी कि दिल्ली सरकार को पहले ही जब्तशुदा दस्तावेजों की फोटोकापी दी जा चुकी है। इसलिए दस्तावेज लौटाने का आदेश पूरी तरह से गलत समझ पर आधारित है।
सीबीआई ने 15 दिसंबर, 2015 को दिल्ली सचिवालय पर छापा मारा था। एजेंसी ने कहा था कि राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार के मामले में छापा मारा गया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके दफ्तर पर भी छापा मारा गया। उन्होंने इसे केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली के दिल्ली जिला एवं क्रिकेट संघ से संबद्ध कथित भ्रष्टाचार के मामले से जोड़ा था।