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 सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है. | dharmpath.com

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सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है.

May 19, 2020 2:19 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है. A+ / A-

सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है.
देश भर में हाल में क्वारंटीन सेंटर और प्रवासी मजदूरों की हालत पर खबर करने को लेकर कई पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं. मुकदमों का यह सिलसिला अब बिहार पहुंच चुका है.

बिहार के सीतामढ़ी जिले में दैनिक भास्कर अखबार के स्थानीय पत्रकार गुलशन कुमार मिट्ठू पर एफआईआर दर्ज की गई है. पत्रकार का आरोप है कि क्वारंटीन सेंटर की अव्यवस्था पर अखबार में रिपोर्ट लिखने के कारण उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई है.

12 मई को दैनिक भास्कर के सीतामढ़ी संस्करण में रीगा प्रखंड के बुलाकीपुर गांव स्थित उच्च विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर में हंगामे की खबर छपी थी, जिसे गुलशन कुमार ने लिखा था.

खबर में मजदूरों के हवाले से खराब खाना मिलने की शिकायत की गई थी. खबर के मुताबिक, ‘मजदूरों ने बताया था कि 8 दिनों से सूखा चना खाना पड़ रहा है. चावल भी ठीक से पका नहीं रहता है. यहां रह रहे 200 मजदूरों के बीच सिर्फ 6 शौचालय उपलब्ध हैं जो कि गंदे रहते हैं.’

इन्हीं सब शिकायतों को लेकर सेंटर में रहे महिलाओं और अन्य लोगों ने प्रशासन के खिलाफ 11 मई को हंगामा किया और मांग की थी कि अगर व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकती, तो उन्हें होम क्वारंटीन कर दिया जाए.

दैनिक भास्कर में प्रकाशित गुलशन की रिपोर्ट. (साभार: संबंधित ईपेपर)
दैनिक भास्कर में प्रकाशित गुलशन की रिपोर्ट. (साभार: संबंधित ईपेपर)

इसके बाद 12 मई को ही रीगा प्रखंड के अंचलाधिकारी (सीओ) राम उरांव ने इस सेंटर पर हुए हंगामे के संबंध में रीगा थाने में एक एफआईआर दर्ज करने को लेकर आवेदन किया, जिसमें कहा गया था कि क्वारंटीन सेंटर पर कानून-व्यवस्था भंग की गई.

एफआईआर आवेदन के मुताबिक, ‘क्वारंटीन सेंटर पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से पूछताछ में पता चला कि पत्रकार मिट्ठू और दो-तीन अन्य लोग सेंटर में रह रहे प्रवासियों को उकसाकर नारेबाजी करवाए. सारी घटना इनके उकसावे पर ही हुई है, इसलिए पत्रकार मिट्ठू और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाए.’

दो दिन बाद 14 मई को गुलशन को थाने से पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया, जिसमें कहा गया कि उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (गैर कानूनी रूप से इकट्ठा होने), 188 (महामारी के वक्त सरकारी निर्देशों का उल्लंघन), 269 और 270 (संक्रमण फैलाने का आरोपी) के तहत केस दर्ज किया गया है.

हालांकि थाने के कर्मी अखिलेश कुमार द्वारा हस्ताक्षर किए हुए नोटिस में पत्रकार को गलत तिथि (15-04-2020) में बुलाया गया, जिसके कारण गुलशन पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे.

गुलशन बताते हैं, ‘थाने से एक पुलिसवाले ने फोन किया था कि शुद्धि पत्र हम लेकर आ रहे हैं, लेकिन मैं घर पर उस वक्त मौजूद नहीं था. इसके बाद फिर फोन नहीं आया है.’

प्रशासन के इस आरोप और गुलशन की रिपोर्ट की सत्यता इस क्वारंटीन सेंटर में रह रहे कुछ लोगों से बात करके परखी जा सकती है.

महेश राउत इस सेंटर में एक सप्ताह से रह रहे हैं. वे बताते हैं, ‘जब हंगामा हुआ तो दो दिन तक खाना ठीक मिला, लेकिन फिर उसी तरह का खाना मिलने लगा. दाल पानी वाला रहता है. एक रूम में 7-8 आदमी रहते हैं, सब प्लास्टिक पर सोते हैं. इतनी गर्मी है, इसके बावजूद यहां एक भी कमरे में पंखा नहीं है. सिर्फ स्टाफ के कमरे में है.’

वे कहते हैं कि सीओ से भी शिकायत की है, लेकिन इसके बावजूद ढंग की व्यवस्था नहीं हो रही है. गुजरात के एक अस्पताल में सफाई का काम करने वाली मीरा देवी बीते कुछ दिनों से इसी सेंटर में रह रही हैं.

वे बताती हैं, ‘न कभी कमरे की सफाई होती है और न शौचालय ही साफ होता है. यहां इतनी दिक्कत है कि कई महिलाओं को हंगामे के बाद होम क्वारंटीन किया गया. इतनी गंदगी है कि यहां लोग रहते-रहते बीमार पड़ जाएंगे.’

गुलशन कुमार रीगा प्रखंड में ही इमली बाजार के रहने वाले हैं. 24 साल के गुलशन 2014 से ही पत्रकारिता में हैं. अपने खिलाफ दर्ज हुए मामले को लेकर वे कहते हैं, ‘एफआईआर के बाद मैं डरा हुआ तो हूं, पुलिस मुझे जेल भेज सकती है. प्रशासन के कामों में जो भी गलत होता है, उसके खिलाफ मैं लगातार खबर लिखते आ रहा हूं.’

वे आगे कहते हैं, ‘ये आवाज को दबाने की एक कोशिश है. उन्हें (प्रशासन को) लगता है, अगर इस तरह से हमारी आवाज को दबाया जाएगा, तो हम लिखना बंद कर देंगे. यहां के थाना प्रभारी ने दबाव बनाकर यह केस करवाया है. इससे पहले भी 2017 में मेरी खबर के कारण एक सीओ सस्पेंड हुए थे.’मामले के बारे में जब रीगा थाने के एसएचओ सुभाष मुखिया ने कहा, ‘गुलशन पर आरोप है कि उन्होंने क्वारंटीन सेंटर पर जाकर लोगों को उकसाया, जिसके बाद वहां हंगामा हुआ. सीओ साहब ने केस दर्ज कराया है. झूठ-सही की बात वही करेंगे, वे गुलाबी टीशर्ट पहने थे या नहीं पहने थे, वही बयान दे रहे हैं.’

गुलशन के खिलाफ दर्ज हुए इस मामले पर सीतामढ़ी प्रेस क्लब ने विरोध जताया है. प्रेस क्लब ने जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा को पत्र लिखकर बताया है कि पत्रकार पर झूठा मुकदमा दर्ज हुआ है, इस पत्र की कॉपी जिले के पुलिस अधीक्षक को भी भेजी गई है.

प्रेस क्लब ने पत्र में लिखा है, ‘दर्ज एफआईआर में जो तथ्य लिखे गए हैं, उससे प्रतीत होता है कि स्थानीय प्रशासन किसी पुरानी रंजिश को लेकर ये काम कर रही है. अगर इसी तरह के हालात रहेंगे तो जिले में पत्रकारों का निष्पक्ष रूप से काम करना मुश्किल हो जाएगा.’

इस पत्र में यह भी लिखा गया है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर पत्रकार को एफआईआर से मुक्त किया जाए और अगर ऐसा नहीं होता है तो सीतामढ़ी प्रेस क्लब भी आगे की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र माना जाएगा.

सीतामढ़ी प्रेस क्लब के अध्यक्ष राकेश रंजन इस एफआईआर को लेकर कहते हैं, ‘सरकार के विरोध में खबर छप रही है, पूरे बिहार में क्वारंटीन सेंटर की बदहाल व्यवस्था है, प्रशासन नहीं चाहता कि सच बाहर आए इसलिए सच को छिपाने के लिए इस तरह की एफआईआर दर्ज हुई है.’

गुलशन ने यह भी बताया है कि जिलाधिकारी ने इस केस को रफा-दफा करने को कहा है. वे कहते हैं, ‘जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा कहा गया कि पहले मैं थाने पर जाकर जमानत ले लूं, जो आसानी से मिल जाएगी.’

उनके मुताबिक ये बातें मौखिक तौर पर हुई हैं. वे आगे कहते हैं, ‘अगर मैं जमानत लेता हूं तो मैं ही चोर साबित हो जाऊंगा. मैं चाहता हूं कि अधिकारी पर कार्रवाई की जाए.’

गुलशन कहते हैं कि इसके पहले 2018 में भी उनके खिलाफ यहां की एक प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ ) ने झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया था.

वे कहते हैं, ‘मैंने बीडीओ के सरकारी आवास को लेकर एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसे तोड़कर और लाखों रुपये खर्च कराकर महल का दर्जा दिया जा रहा था. जब इस नाजायज खर्च पर रिपोर्ट किया, तो मेरे खिलाफ ही गलत आरोप लगाकर केस दर्ज करवा दिया गया था. यह मामला अब तक कोर्ट में चल रहा है.’

गुलशन अक्टूबर 2018 से दैनिक भास्कर में काम कर रहे हैं. इसके पहले वे सीटीएन न्यूज सीतामढ़ी, आज अखबार और प्रभात खबर में काम कर चुके हैं. वे बताते हैं कि बीते साल 15 अगस्त को उन्हें जिलाधिकारी की तरफ से उनके काम के लिए पुरस्कृत भी किया जा चुका है.

सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है. Reviewed by on . सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा Rating: 0
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