मंत्र को आध्यात्मिक शक्ति का सबसे प्रमुख स्रोत माना जाता है। हिंदू , मुस्लिम, सिख, जैन धर्मों में मंत्रशक्ति को मान्यता है कि मंत्र से न केवल व्यक्तिगत कार्यो में सिद्धी प्राप्त होती है अपितु सामूहिक रूप से मंत्रजाप करने से तो ऊर्जा का प्रवाह उत्पन्न होता है। यह कई अनिष्टों को खत्म कर देता है।
गायत्री परिवार, व्यक्तित्व विकास केन्द्र, योग वेदांत समिति सहित विभिन्न धर्मगुरूओं से जुड़े संस्थानों का आधार ही मंत्र जाप है। गायत्री परिवार में नवरात्रि के दौरान मंत्रजाप के सामूहिक अनुष्ठान होते हैं। 24 हजार, सवालाख, 24 लाख मंत्रजाप के अनुष्ठान किए जाते हैं।
मंत्रजाप के अलावा मंत्र लेखन का कार्य भी किया जाता है। एक पुस्तिका में 2400 मंत्र लिखे जाते हैं। अजमेर में रामनाम बैंक भी है। जयपुर के आराध्य गोंविददेवजी मंदिर में सवा करोड़ मंत्र लिखी पुस्तिकाओं की परिक्रमा की गई। कथावाचक मुरलीमनोहर अकिंचन राधेनाम लेखन का प्रचार प्रसार करते हैं। कथा के दौरान मंत्र लेखन पुस्तिकाओं का वितरण किया जाता है। कई समाजसेवी उद्योगपति भी अपने स्तर पर पुस्तिकाओं का वितरण करवाते हैं। सीताराम लेखन का प्रचलन भी है ।जैन धर्म में ण्मोकार मंत्र का जाप सर्वाधिक होता है।