
यहाँ जो भी मंगल कार्य लोगो के घरो में होते है बिना इनकी इज़ाज़त के नहीं होते .वर्तमान समय में मंदिर का काया कल्प यहाँ की समिति के लोगो ने बहुत ही मेहनत करके किया है .
बुजुर्गो का कहना है की एक समय मंडला में बहुत ही भयंकर बाढ़ आई थी ,नर्मदा मैया के मोनी बाबा अनन्य भक्त थे और मोनी बाबा को स्वप्न में मैया ने दर्शन दिए थे की मुझे नर्मदा की आगाह गहराई से बाहर निकालो .यह उस समय की घटना है जब नर्मदा में भरी बाढ़ थी .मोनी बाबा नाव घाट से नर्मदा में कूदे और माँ ज्वाला और माँ नर्मदा की सुंदर सफ़ेद संगमरमर के पत्थर की बनी प्रतिमा उनके कंधे पर थी .जिन्हें नावघाट में ही एस्थापित किया गया .
निहारते है माँ के नैना —
मंदिर में जाते ही एसा लगता है मानो माँ नर्मदा और माँ ज्वाला दोनों बहने सामने पूजा करने वालो को निहार रही हो .कई बार तो माता के नैना सामने और तिरछे दिखाई देते है.माँ के चेहरे में मुस्कान नज़र आती है जिसे देखने वाले देखते ही रहते है .गो का जुडाव बढता ही जा रहा है एक समय एसा था जब यहाँ पर एक समय का दीपक भी नहीं जलता था ,लेकिन कहा जाता है इस मंदिर के बारे में जो सच्ची श्रद्धा से माँ के सेवा करता है वो उसकी मन्नत जरुर पूरी करती है .