वाशिंगटन, 8 मार्च (आईएएनएस)। पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपने देश में स्थित सिखों के सर्वाधिक पवित्र धर्मस्थलों -ननकाना साहिब और करतारपुर- में हरित परियोजनाएं शुरू करने की एक योजना का समर्थन किया है।
वाशिंगटन, 8 मार्च (आईएएनएस)। पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपने देश में स्थित सिखों के सर्वाधिक पवित्र धर्मस्थलों -ननकाना साहिब और करतारपुर- में हरित परियोजनाएं शुरू करने की एक योजना का समर्थन किया है।
वाशिंगटन स्थित सिख संगठन, ‘इकोसिख’ के मुताबिक, यह योजना 2019 में गुरुनानक की 550वीं जयंती पर आयोजित होने वाले समारोह का एक हिस्सा होगी। गुरुनानक का जन्म ननकाना साहिब में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 17 साल करतारपुर में बिताए थे।
‘इकोसिख’ के अध्यक्ष रजवंत सिंह ने ननकारा साहिब, करतारपुर साहिब और नारोवाल की यात्रा की और यह समझने की कोशिश की कि इन पवित्र स्थलों के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए समुदाय और प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाने चाहिए।
उन्हें इस यात्रा के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा में प्रथम सिख सदस्य रमेश सिंह अरोड़ा ने आमंत्रित किया था।
उन्होंने पाकिस्तान के योजना विकास एवं सुधार मंत्री अहसान इकबाल, और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पर्यावरण एवं गृहमंत्री शुजा खारजादा और अन्य अधिकारियों से भी मुलाकात की।
रजवंत सिंह ने कहा, “ये धर्मस्थल पूरी दुनिया में सिखों द्वारा पूजनीय हैं। हमने ननकाना साहिब और करतारपुर में 25 से 50 एकड़ के बीच भूमि ‘पवित्र वन’ के रूप में समर्पित करने का विचार पेश किया है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन स्थानों के आसपास जैव-विविधता और पवित्रता संरक्षित रखी जा सके।”
इन योजनाओं में सौर पैनलों लगाना, लंगर के लिए जैविक कृषि भूमि तैयार करना, पवित्र वन क्षेत्र संरक्षित करना तथा स्थानीय धर्मगुरुओं, समुदायों और हर साल ननकाना साहिब व करतारपुर की यात्रा करने वाले हजारों तीर्थयात्रियों के बीच पर्यावरण संरक्षण की भावना पैदा करना शामिल हैं।
इसके अलावा, ननकाना साहिब और करतारपुर गुरुद्वारों में जैविक खेती से लंगर का भोजन उपलब्ध कराने के लिए लगभग पांच या दस एकड़ जमीन समर्पित करना भी शामिल है।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने ‘इकोसिख’ से मास्टर प्लान के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा है।
इकोसिख में दक्षिण एशिया के परियोजना प्रबंधक रवनीत सिंह ने कहा, “भूमि की हिफाजत, उसका सम्मान तथा उससे प्रेम करने के बारे में गुरुनानक की शिक्षाओं को पाकिस्तान के प्रमुख सिख धर्मस्थलों में साकार करने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे।”