उज्जैन– जहाँ एक तरफ प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान चला कर शौचालय बनाना शुरू कर दिया है वहीँ एक शौचालय निर्माण अभियान की मुहीम मप्र सरकार के कन्धों पर है.यह है सिंहस्थ में आने वाले संत-महात्माओं के आवास में शौचालय निर्माण एवं श्रद्धालुओं हेतु शौचालय निर्माण.यह व्यवस्था इतनी महती है जिस पर इस आयोजन की सफलता का पूरा दायित्व है.लेकिन खेल खेलने में माहिर लोग इसे भी नहीं बख्श रहे हैं .
शौचालयों के निर्माण की व्यवस्था पूरी नहीं होती देख इसके निर्माण की जिम्मेदारी सन 2004 में काली सूची में डाल दी गयी कंपनी को दे दी गयी.इसके बाद इसकी कीमत 21000 रुपये के लगभग दी जा रही है.जबकि राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान के तहत मात्र 12000 रूपये में स्थायी शौचालय बना कर दिए जा रहे हैं.इस पर तुर्रा यह की जो सामग्री इन अस्थायी शौचालयों में लगाई जायेगी वह भी बाद में कंपनी वापस ले जायेगी और इस हेतु किसी प्रकार के शुल्क का उसे भुगतान नहीं करना है.
सिंहस्थ शुरू होने में अब एक महीने से भी कम समय बचा हुआ है लेकिन इन शौचालयों के अभी तक मात्र ढांचे खड़े किये गए हैं उनमें पानी ,उनके निस्तारण का कोई प्रबंध नहीं है और ना ही जल्द होने की उम्मीद है.
इस योजना का बजट सन 2004 में 10 करोड़ रुपये था आज इसकी लागत 140 करोड़ कर दी गयी है ,इतनी बड़ी राशि का अंतर तकनीकी परीक्षकों के समझ से भी बाहर है.सूत्रों ने बताया की इस गडबडझाले को लेकर सत्ता धारी दल के स्थानीय कार्यकर्ता अब आवाज उठाने की तैयारी में हैं और अब बातें सड़क पर करने लगे हैं.उनके द्वारा सुझाव दिए गए थे की छोटे-छोटे समूहों को यह कार्य बाँट दिया जाय लेकिन उनकी बातों को अनसुना करते हुए एक ही कंपनी को कार्य दिया गया.वह भी उस ब्लेक लिस्टेड कंपनी को जिसे कार्य योग्य नहीं माना गया था.
जब हम शौचालय निर्माण के स्थल पर पहुंचे तो घटिया सामग्री का उपयोग सामने आया.स्थल पर अमानक सामग्री पड़ी हुई थी और उसका उपयोग भी हो रहा था.कौन लेगा इन सबकी जिम्मेदारी जब वरिष्ठ अधिकारीयों एवं सत्ता -प्रतिनिधियों से बात करने की कोशिश की गयी तो किसी ने फोन नहीं उठाया किसी ने कुछ देर में बात करने का कह पुनः फोन नहीं किया.