नई दिल्ली: ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट के हालिया जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2000 के बाद से भारत में 2.33 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र कम हो गया है, जो इस अवधि के दौरान वन आच्छादित क्षेत्र में छह प्रतिशत की कमी के बराबर है.
ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच, जो सैटेलाइट डेटा और अन्य स्रोतों के जरिये रियल टाइम में वन परिवर्तनों पर नज़र रखता है, का कहना है कि देश ने 2002 से 2023 तक 4,14,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (4.1 प्रतिशत) खो दिया है, जो इस अवधि में कुल वन आच्छादित क्षेत्र की हानि का 18 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 और 2022 के बीच भारत के जंगलों ने एक वर्ष में 51 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन किया और 141 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को हटा दिया. यह प्रति वर्ष 89.9 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर शुद्ध कार्बन सिंक (कार्बन सोखने) को दर्शाता है.
भारत में वृक्षों के नुकसान के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष औसतन 51.0 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा गया. इस अवधि के दौरान कुल मिलाकर 1.12 गीगाटन के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुआ.
वन खड़े होने या दोबारा उगने पर हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाते हैं और साफ होने या नष्ट होने पर उत्सर्जित करते हैं. इस प्रकार, वनों के नष्ट होने से जलवायु परिवर्तन में तेजी आती है.