रोहतक (हरियाणा), 18 अगस्त (आईएएनएस)। ब्राजील की मेजबानी में खेले जा रहे 31वें ओलम्पिक खेलों में भारत को पहला पदक दिलाने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक के घर और गृहनगर में जश्न का माहौल है।
दिल्ली से करीब 50 किलोमीटर दूर हरियाणा के रोहतक की रहने वाली साक्षी ने कुश्ती में कांस्य पदक जीत भारत को रियो ओलम्पिक में पहला पदक दिलाया है।
भारत में सबसे कम लिंगानुपात (2011 की जनसंख्या के अनुसार 1000 पुरुषों पर 879 महिलाएं) वाले राज्य हरियाणा जो कन्या भ्रूण हत्या के मामले में भी काफी आगे है, उस राज्य से साक्षी ने दोहरी बाधा पार करते हुए देश को पदक थमाया है और अपने राष्ट्र की पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान होने का गौरव हासिल किया है।
पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्त, साथी खिलाड़ी, कोच, राजनेता और कई लोग साक्षी के घर उनके माता-पिता से मिलने आ रहे हैं। बेटी की सफलता से फूली नहीं समा रहीं साक्षी की मां सुदेश मलिक ने कहा, “उसने देश का गौरवान्वित किया है।”
हरियाणा के मुख्मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साक्षी के पिता सुखबीर और मां सुदेश से फोन पर बात की और बेटी के पदक जीतने की बधाई दी।
साक्षी को अपनी इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए राज्य सरकार ने उन्हें तीन करोड़ रूपये का ईनाम देने की घोषणा की है।
रोहतक के पास मोखरा गांव की रहने वाली साक्षी ने बुधवार रात को रियो ओलम्पिक में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है और भारत को 31वें ओलम्पिक खेलों में पहला पदक दिलाया है।
साक्षी ने किर्गिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में पराजित करते हुए पदक पर कब्जा जमाया।
कोरिओका एरेना-2 मे हुए इस मुकाबले मे एक समय साक्षी 0-5 से पीछे थीं, लेकिन दूसरे राउंड में उन्होंने उलट-पलट करते हुए इसे 8-5 से जीत लिया।
जीतने के बाद साक्षी ने कहा था, “मैं देश की उम्मीदों पर खरा उतरी और पहला पदक जीतने में सफल रही। पीछे रहने के बाद भी मुझे विश्वास था कि मैं वापसी कर सकती हूं। अंत के दो घंटे मेरे लिए काफी मुश्किल थे। मैं बस यही सोच रही थी कि पदक आएगा या नहीं।”
उन्होंने कहा, “यह पहली बार हुआ है कि महिला ने पदक जीता है। यह मेरी 12 साल की मेहनत का नतीजा है। मेरी मेहनत सफल हुई।”
सौ से ज्यादा भारतीय खिलाड़ियों के ओलम्पिक दल में कुल 21 खिलाड़ी अकेले हरियाणा से हैं।