नई दिल्ली/लखनऊ, 2 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव तथा उनके बेटे व प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच चल रही रस्साकशी ने सोमवार को नाटकीय मोड़ ले लिया। पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना दावा जताने मुलायम सिंह निर्वाचन आयोग के दफ्तर पहुंचे।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी उनसे जुड़ी हुई है और उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने यहां कहा, “समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर हमारा हक है।”
अपने भाई शिवपाल यादव, राज्यसभा सांसद अमर सिंह तथा जया प्रदा के साथ मुलायम सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी में मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात की।
यह बैठक करीब 30 मिनट तक चली, जिस दौरान पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह ने चुनाव चिन्ह पर अपना दावा जताया।
ज्ञात सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पार्टी के संविधान को जैदी के साथ चर्चा की और दावा किया कि वह अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं।
कहा गया है कि मुलायम सिंह ने तर्क दिया है कि अखिलेश समर्थकों द्वारा लखनऊ में बुलाए गए अधिवेशन ने पार्टी के कायदे-कानून को तोड़ा है और इसलिए बैठक में जो भी होता है, वह अमान्य है।
उन्होंने पांच जनवरी को होने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अधिवेशन को स्थगित कर दिया है।
अखिलेश गुट की तरफ से मंगलवार को निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचे रामगोपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव सर्वोच्च न्यायालय नहीं हैं, जो रविवार के हुए फैसले को असंवैधानिक और गैर कानूनी करार दे दें।
उन्होंने कहा, “मुझे भी संविधान के बारे में जानकारी है। विधि सम्मत तरीके से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। वह (मुलायम सिंह) सुप्रीम कोर्ट के जज नहीं है। उन्होंने कहा कि सब जानते है कि अब कौन राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन है।”
अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह के विश्वस्त अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया है, लेकिन इस फैसले से अमर सिंह बेफिक्र दिखे और मुलायम सिंह के प्रति अपनी वफादारी जताई।
उन्होंने कहा, “मैं मुलायम के साथ था और रहूंगा। उनका साथ मुझे नायक बनाता है और अगर जरूरत पड़ी, तो मैं खलनायक भी बन सकता हूं।”
बाप-बेटे के बीच मचे घमासान के बीच पार्टी कार्यकर्ता यहां मुलायम सिंह के आवास के बाहर इकट्ठा हुए और उनके पक्ष में नारे लगाए तथा पार्टी में एकता की मांग की।
समर्थकों ने हालांकि अखिलेश यादव या राम गोपाल यादव के विरोध में कोई नारा नहीं लगाया। उन्होंने मुलायम सिंह से चुनाव में अखिलेश यादव को पार्टी के चेहरे के रूप में पेश करने की मांग की।
संवैधानिक विशेषज्ञों के मुताबिक, निर्वाचन आयोग पार्टी के चुनाव चिन्ह को जब्त कर सकता है और दोनों गुटों को चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग नया चुनाव चिन्ह जारी कर सकता है।
अगर ऐसा हुआ, तो दोनों गुटों को ही झटका लगेगा, क्योंकि साइकिल सपा का स्थापित चुनाव चिन्ह है।
सपा में मचे घमासान के बीच रविवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गुट ने शिवपाल यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। रामगोपाल यादव की ओर बुलाए पार्टी के आपात विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया था, जबकि मुलायम को पार्टी का सर्वोच्च नेता मानते हुए ‘मार्गदर्शक’ का दर्जा दिया गया। अधिवेशन में अमर सिंह को सपा से निकालने का फैसला भी लिया गया।
इसके बाद कुछ ही घंटों के भीतर मुलायम सिंह ने पलटवार करते हुए राज्यसभा सदस्य रामगोपाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया। मुलायम ने इसके साथ ही अन्य राज्यसभा सदस्यों नरेश अग्रवाल और पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा को भी पार्टी से निकाल दिया।