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 सहिष्णुता की शक्ति के कारण भारत समृद्ध : प्रणब (लीड-1) | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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सहिष्णुता की शक्ति के कारण भारत समृद्ध : प्रणब (लीड-1)

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि सबको आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण भारत समृद्ध हुआ है।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि सबको आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण भारत समृद्ध हुआ है।

मुखर्जी ने यहां विज्ञान भवन में दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा देश आत्मसात करने और सहिष्णुता की अपनी शक्ति के कारण समृद्ध हुआ है। हमारा बहुलतावादी चरित्र समय पर खरा उतरा है।”

उन्होंने कहा, “भारत तीन जातीय समूहों -भारोपीय, द्रविड़ और मंगोल- से संबंधित 1.3 अरब लोगों का देश है, जहां 122 भाषाएं और 1,600 बोलियां बोली जाती हैं और यहां सात धर्मो के अनुयायी हैं।”

दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह का विषय सबके लिए न्याय है। इस विषय के बारे में उन्होंने कहा, “इसका अर्थ कमजोर को सशक्त बनाना और किसी की व्यक्तिगत पहचान के इतर कानून का समान प्रवर्तन करना।”

राष्ट्रपति ने कहा, “विविधिता हमारी सामूहिक शक्ति है, जिसका किसी भी कीमत पर संरक्षण किया जाना चाहिए। हमारे संविधान के विभिन्न प्रावधानों में यह स्पष्ट है।”

मुखर्जी ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जिस भी नियुक्ति प्रणाली का पालन किया जाए, उसे सर्वश्रेष्ठ के चयन के सुस्थापित एवं पारदर्शी सिद्धांतों पर संचालित होना चाहिए।

राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द कर दिया था।

राष्ट्रपति ने कहा, “न्यायिक पदों की रिक्तियां प्राथमिकता के आधार पर भरी जानी चाहिए। हम चाहे जिस नियुक्ति प्रणाली का पालन करें, उसे सर्वश्रेष्ठ चयन के सुस्थापित और पारदर्शी सिद्धांतों पर संचालित होना चाहिए। इस प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”

उन्होंने कहा, “न्यायपालिका की स्वायत्तता लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण चरित्र है। लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होने के नाते इसे आवश्यकता पड़ने पर आत्ममंथन और स्वसुधार के जरिए खुद से नयापन लाना चाहिए।”

राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका संविधान और कानूनों का अंतिम व्याख्याता है।

उन्होंने कहा, “इसे कानून के खिलाफ काम करने वालों के साथ त्वरित और प्रभावी तरीके से निपटते हुए सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद करनी चाहिए।”

मुखर्जी के अलावा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू, दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे।

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