नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। पुलिस हिरासत में जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की तीन घंटे तक पिटाई करने का दावा करने वाले तीनों वकीलों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय से अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का मंगलवार को आग्रह किया गया है। तीनों वकील एक स्टिंग ऑपरेशन में यह कहते पाए गए थे।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ का ध्यान स्टिंग ऑपरेशन की ओर आकर्षित किया, जिसमें तीनों वकील यह कहते दिखाई दे रहे थे कि उन्होंने पुलिस हिरासत में कन्हैया कुमार की तीन घंटे पिटाई की और वे उस पर पेट्रोल बम फेंक देंगे।
प्रशांत भूषण ने वकीलों के बयान को गंभीर बताते हुए अदालत से उनके खिलाफ अदालत की अवमानना कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया।
प्रशांत भूषण ने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन में वकील यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि वे जेल में जहां कन्हैया कुमार को रखा गया है, वहां जाकर उसे और अधिक नुकसान पहुंचाएंगे।
न्यायमूर्ति चमलेश्वर ने यह कहते हुए कि यह स्टिंग ऑपरेशन शेखी बघारने का मामला भी हो सकता है, प्रशांत भूषण को इस मामले में एक याचिका दाखिल करने को कहा।
इस बीच, शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के महापंजीयक के आग्रह को भी स्वीकार कर लिया। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता हरिन रावल द्वारा की गई वीडियो रिकॉर्डिग में अपना चेहरा छिपाने की मांग की थी। रावल ने 17 फरवरी को पटियाला हाउस अदालत परिसर की घटना की रिकॉडिर्ंग की थी।