नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाए जाने की रविवार को सिफारिश की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया और उसकी सिफारिश की।
लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस सदस्य मलिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। वह भी समिति के सदस्य हैं।
न्यायमूर्ति घोष (67) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 2017 से सदस्य हैं। वह सर्वोच्च न्यायालय से 27 मई 2017 को सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर 8 मार्च 2013 को पदभार ग्रहण किया था। लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों वह शामिल थे।
न्यायाधीश घोष की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जुलाई 2015 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता को नोटिस जारी किया था। कर्नाटक सरकार द्वारा जयललिता व तीन अन्य को आय से अधिक संपत्ति के मामले में रिहा करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया था।
वह पूर्व में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं।
पिनाकी चंद्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ। वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिवंगत न्यायामूर्ति शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं।
घोष, कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक हैं, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ प्राप्त किया। उन्होंने 30 नवंबर 1976 को बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल में खुद को वकील के रूप में पंजीकृत कराया।