नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने 2016-17 में अंडर ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए दो राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एईईटी) कराने से संबंधित अपने फैसले पर शनिवार को पुनिर्विचार करने से इनकार कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी तथा न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, “इस मामले पर अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई हो चुकी है और अब यह मामला खत्म हो चुका है।”
इससे पहले एक अधिवक्ता ने अदालत को उन परेशानियों से अवगत कराया, जो छात्रों को बिना तैयारी के परीक्षा देने के लिए कहने के बाद पेश आनी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा था कि उसके पूर्व के निर्देश के अनुसार केंद्रीय माद्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अंडर ग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एक मई और 24 जुलाई को परीक्षा लेगा।
अदालत ने 29 अप्रैल को एक मई और 24 जुलाई को एनईईटी की परीक्षा कराने के आदेश को दोहराया था, हालांकि अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने 28 अप्रैल को पारित शीर्ष अदालत के आदेश में संशोधन की मांग की थी। उनका कहना था कि बहुत सारे छात्र जिनकी पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में हुई है वे अंग्रेजी में निपुण नहीं हैं और एक मई को होने वाली एनईईटी 1 की परीक्षा में शामिल होने में उन्हें परेशानी होगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश होते हुए रोहतगी ने अदालत से आग्रह किया था कि राज्यों को अपने स्तर से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की इजाजत दी जानी चाहिए।