नई दिल्ली, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दौरे की पूर्व संध्या पर शनिवार को सरकार ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल दल के सदस्य अलगाववादियों सहित समाज के किसी भी हिस्से से बातचीत करने के लिए स्वतंत्र होंगे, हालांकि सरकार ने इस दो दिवसीय दौरे के दौरान सभी दलों से एक स्वर में अपनी बात रखने का अनुरोध भी किया।
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी दो महीने से अस्थिरता और हिंसा के दौर से गुजर रही है।
दूसरी ओर विपक्षी दल के नेताओं ने अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से बातचीत पर जोर दिया, पेलेट गन के इस्तेमाल पर तत्काल प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही और जम्मू एवं कश्मीर के नागरिक इलाकों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाए जाने की वकालत की।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रतिनिधिमंल दल के सदस्यों के साथ शनिवार को बैठक की और कश्मीर में उनके कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा की।
गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल को रविवार से शुरू हो रही दो दिवसीय कश्मीर दौरे के कार्यक्रम का विवरण दिया।
28 सदस्यीय इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में 20 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी और एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।
इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि प्रतिनिधिमंडल की कश्मीर दौरे पर किन-किन व्यक्तियों और समूहों के साथ वार्ता हो सकती है।
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों के नेताओं का एक समूह कश्मीर में कुछ अलगाववादी समूहों से भी मुलाकात कर सकता है।
एक सूत्र ने बताया, “सरकार चाहती है कि सभी दल न सिर्फ कश्मीर घाटी में शांति बहाली के एकमात्र उद्देश्य को व्यक्त करें बल्कि सभी एक स्वर में अपनी बात रखें।”
येचुरी ने बैठक के दौरान सुझाव दिया कि कश्मीर दौरे के दौरान प्रतिनिधिमंडल को विश्वास प्रगाढ़ करने वाली घोषणाएं करनी चाहिए।
येचुरी ने कहा, “सरकार को इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के लिए हुर्रियत को भी आमंत्रित करना चाहिए।”
सरकार ने जहां कहा है कि सभी दल किसी भी गुट से मुलाकात करने के लिए स्वतंत्र हैं, वहीं दल के अध्यक्ष राजनाथ सिंह सिर्फ उन्हीं लोगों या समूहों से मुलाकात करेंगे, जो संविधान के तहत समाधान के इच्छुक हैं।
कांग्रेस नेता आजाद ने कहा, “यह बेहद जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकार मुद्दे पर सभी साझेदारों की पहचान करे।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल कश्मीर में होने वाली बातचीत के दौरान मिलने वाले सभी सुझावों और सिफारिशों की एक सूची तैयार करेगा।