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 ‘सरदार सरोवर राजनीतिक साजिश व कार्पोरेट लूट का नमूना’ | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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‘सरदार सरोवर राजनीतिक साजिश व कार्पोरेट लूट का नमूना’

बडवानी, 24 अगस्त (आईएएनएस)। नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर की अगुवाई में मध्य प्रदेश के बडवानी जिले के करीब राजघाट पर जारी जीवन अधिकार सत्याग्रह के 13वें दिन सोमवार को समाज के विभिन्न वर्गो से जुड़े नामचीन लोगों ने अपना समर्थन दिया और कहा कि सरदार सरोवर राजनीतिक साजिश और कार्पोरेट जगत की लूट का नायाब उदाहरण है।

इस मौके पर जुटे लोगों ने कहा कि बीते 30 वर्षो से सरदार सरोवर प्रभावितों का अपना हक पाने के लिए संघर्ष जारी है। वहीं नर्मदा घाटी के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह समर्थन नर्मदा घाटी को है न कि नरेंद्र मोदी को।

उन्होंने राजघाट प्रस्ताव पारित किया और कहां कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक प्रभावितों को उनका हक नहीं मिल जाता।

सत्याग्रह को समर्थन देने दिल्ली से पहुंचे स्वराज अभियान और जय किसान आंदोलन के संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा कि सरदार सरोवर अवैध और अमानवीयता का प्रतीक है, यह बात न्यायालय भी कह चुका है, इसलिए सरदार सरोवर पर गेट का निर्माण बंद होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “मैं राजनीति में बदलाव लाना चाहता हूं, इसके लिए संघर्ष कर रहा हूं। मैं आंदोलन आधारित राजनीति का पक्षधर हूं।”

इस मौके पर मौजूद शांता बहन और शानू बहन ने कहा कि इस परियोजना से तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं जो पुनर्वास चाहते हैं, मगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन प्रभावितों के पुनर्वास की बजाय अडाणी, अंबानी और कोका-कोला के पुनर्वास में लगे हैं, जिन्होंने उन्हें चुनाव में धनबल दिया।

इस मौके पर मेधा पाटकर ने कहा कि देश में एक के बाद एक बड़े बांध बन रहे हैं और लाखों परिवार इन बांधों के चलते प्रभावित हुए हैं। किसी परियोजना के असफल होने का सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष उदाहरण है सरदार सरोवर परियोजना। इस परियोजना से न सिर्फ 90 हजार एकड़ जमीन बर्बाद हुई, बल्कि ढाई लाख लोग प्रभावित हुए हैं। किसी भी कीमत पर सरदार सरोवार में गेट नहीं लगने देंगे, इसके लिए उन्हें चाहे जो कीमत चुकाना पड़े।

इस सभा में गांधीवादी अनिल त्रिवेदी, सामाजिक कार्याकर्ता संदीप पांडेय, महेंद्र कुमार, कामायनी स्वामी, सुभाष लोमटे व नवरत्न दुबे ने भी विचार व्यक्त किए।

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