बड़वानी, 30 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में राजघाट पर जमा सैकड़ों लोगों ने सरदार सरोवर की ऊंचाई बढ़ाने से क्षेत्र में मची तबाही को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। इसके साथ ही उन्होंने बांध के दरवाजे खोले जाने की मांग की।
राजघाट पर शनिवार को जमा हुए लोगों ने कहा, “एक ओर पुनर्वास स्थलों तक पीने का पानी भी नहीं पहुंचा है, और दूसरी ओर नर्मदा सुखाड़ और बाढ़ के चक्र में फंसी है। साथ ही पानी जमा होने से नदी प्रदूषित होकर जलकुम्भी से पटी जा रही है। पशुओं के शव तक अटके तैरते रहते हैं। पानी पीने लायक नहीं रह गया है।”
नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने आरोप लगाया, “35,000 परिवारों का पुनर्वास भी पूर्ण होना बाकी है। सर्वोच्च अदालत के आठ फरवरी, 2017 के फैसले का भी पूर्ण पालन नहीं हुआ है। कई लाभार्थियों को प्लॉट या आवास योजना का अनुदान मिलना बाकी है। पुनर्वास स्थलों पर पाठशालाएं स्थानांतरित की गई हैं, लेकिन हजारों बच्चे मूल गांवों में हैं, जिनकी पाठशाला छुड़वाने का काम ‘सर्व शिक्षा अभियान’ का ढिढोरा पीटने वाली वर्तमान सरकार ने किया।”
नर्मदा घाटी के संघर्ष और निर्माण के समर्थन में आए वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ताओं ने सरदार सरोवर के लोकार्पण के बाद एक साल की लाभ-हानि का ब्योरा गिनाते हुए कहा कि शिवराज सिह सरकार भी चुनाव पूर्व मध्य प्रदेश के जलाशयों से कंपनियों के लिए प्रदेश की अन्य बड़ी नदियों में नर्मदा का पानी पहुंचाने की साजिश रच रही है, क्योंकि उसे वोट बैंक बनाना है।
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता घनश्याम चौधरी ने किसानों की कर्जमुक्ति व उपज का सही मायने में लागत का डेढ़ गुना दाम पर लोकसभा और राज्यसभा के समक्ष रखे गए विधेयकों का संक्षित ब्योरा प्रस्तुत किया।
इस पर कांग्रेस, भाजपा, आम आदमी पार्टी और जय आदिवासी युवा शक्ति (जयश) जैसे संगठनों को आमंत्रित किया गया था। बड़वानी से कांग्रेस के जिला पंचायत अध्यक्ष मनेन्द्र सिह रायसिह पटेल ने मंच पर आकर अपना समर्थन दिया और कानून के मसौदे पर हस्ताक्षर किया।
इस मौके पर तमिलनाडु के अंतर्राष्ट्रीय कलाकार ओवियार पुगले ने कहा कि वे अपनी कला के माध्यम से नर्मदा का बदलता चित्र, जो कि मानवीय हिसा का है, दुनिया के सामने उजागर करेंगे।
केरल के जी.ओ. जोस ने केरल की हकीकत की तस्वीर सामने रखी। उन्होंने कहा, “जो केरल में हुआ, वह बड़े बाधों के कारण नहीं, बल्कि ठीक तरह से जलनियोजन नहीं होने से कारण हुआ। नर्मदा में भी यह हो सकता है, इसीलिए नदी को प्रवाहमान रखना चाहिए।”
सभा में ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति’ के मारेश कुमार, महाराष्ट्र के नूरजी वसावे और गुजरात के दिनेश भीलाला ने बताया कि वहां भी सैकड़ों परिवारों का पुनर्वास बाकी है।
महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता अनिल हेब्बर, इप्टा की शíमला, जयन्त भाई ने नदियों के हालात पर अपने विचार रखे।
इस अवसर पर सभी ने एक स्वर में मांग की कि सरदार सरोवर के दरवाजे खोले जाएं, ताकि जमा हो रहे पानी को प्रवाहित किया जा सके। पानी लंबे अरसे तक रुके रहने से बीमारियों का खतरा मंडरा सकता है।