नई दिल्ली– कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीते शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में एक समिति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया खत्म होने के बाद समिति गठित करने को कहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए एमएसपी पर कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पर विचार के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था.
तोमर ने उच्च सदन में प्रश्न काल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था.
उन्होंने कहा कि चूंकि चुनाव चल रहे हैं, इसलिए सरकार ने चुनाव आयोग को मार्गदर्शन के लिए पत्र लिखा था. उन्होंने कहा कि आयोग का जवाब आ गया है और चुनाव संपन्न होने के बाद समिति का गठन किया सकता है.
एक दिन पहले ही संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार पर एमएसपी पर समिति गठित करने के अपने वादे को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया था. मोर्चा ने ‘मिशन यूपी’ की भी घोषणा की और मतदाताओं से कहा कि किसानों से अपने वादों से मुकरने के लिए भाजपा को दंडित करें.
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा था से जुड़े योगेंद्र यादव ने कहा था कि संगठन की अपील का 55 किसान संगठनों ने समर्थन किया है.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले मोर्चा ने कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर समिति बनाने और किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने सहित उनकी शेष मांगें अभी भी अधूरी हैं.
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि एमएसपी पर समिति बनाने का मामला मंत्रालय के विचाराधीन है और विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद इसका गठन किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है.
प्रसन्ना आचार्य (बीजू जनता दल) ने सवाल किया था कि क्या सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए कोई विधेयक लाने पर विचार कर रही है.
आचार्य ने किसानों की आय दोगुना करने के वादे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए बीते शुक्रवार को सवाल किया था कि यदि किसानों की आय दोगुनी हो गई है तो आज उन्हें प्रतिदिन आत्महत्या करने को मजबूर क्यों होना पड़ रहा है?
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि एमएसपी पर एक समिति कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद गठित की जाएगी. उन्होंने कहा कि समिति जो भी सिफारिशें करेगी, सरकार उन पर विचार करेगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तोमर समाजवादी पार्टी के सांसद सुखराम सिंह यादव द्वारा पूछे गए एक पूरक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे.
यादव ने पूछा था, ‘किसान आंदोलन देश में ही नहीं विदेशों में भी चर्चा में रहा है. सरकार ने आश्वासन दिया है कि एमएसपी पर एक समिति बनेगी और यह समिति किसानों को न्याय दिलाने पर फैसला करेगी. मैं उस समिति की संरचना जानना चाहता हूं और वह समिति अपनी रिपोर्ट कब देगी.’
इससे पहले यादव ने सरकार से पूछा था कि क्या उसने कृषि फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए एक समिति बनाई है, जैसा कि दिसंबर 2021 में तीन कृषि कानूनों के विरोध का नेतृत्व करने वाले किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा को आश्वासन दिया गया था.
इसके लिखित जवाब में तोमर ने कहा था, ‘देश की बदलती जरूरतों के हिसाब से फसल पैटर्न में बदलाव, एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए समिति गठित करने की प्रक्रिया चल है. वर्तमान में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए समिति के गठन के लिए चुनाव आयोग की सहमति की प्रक्रिया चल रही है.’
नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी बताया कि एमएसपी एक प्रशासनिक निर्णय है और इसे देश भर में कई वर्षों से लागू किया जा रहा है.
पिछले सात वर्षों में सरकार की एमएसपी खरीद में वृद्धि का जिक्र करते हुए तोमर ने कहा कि एमएसपी को पहले के समय से दोगुना कर दिया गया है. वर्तमान बजट में भी लगभग 2.37 लाख करोड़ रुपये की खरीद के लिए प्रावधान किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलना चाहिए और सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है. खरीद बढ़ाने के अलावा सरकार पीएम-किसान सहित कई योजनाओं को भी लागू कर रही है.
मालूम हो कि विवादित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की सरकार की मंशा की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में घोषणा की थी कि सरकार शून्य बजट खेती को बढ़ावा देने और एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन करेगी.
इन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर तकरीबन एक साल तक प्रदर्शन किया था. प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद किसानों ने बीते साल दिसंबर में अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था.