नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अगले पांच वर्षो के लिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए एक नई भोजन योजना – प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना शुरू करने को मंजूरी दी।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नई योजना में अगले पांच वर्षो में 1.31 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय है और मौजूदा मिड डे मील योजना को इस योजना में शामिल किया जाएगा।
ठाकुर ने कहा कि भोजन की सुविधा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तक पहुंचाई जाएगी और प्री-नर्सरी स्कूलों को भी कक्षा 1 से 8 तक की पीएम-पोषण योजना में शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, इससे देशभर के 11.2 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के करोड़ों छात्रों को फायदा होगा। इससे सरकारी स्कूलों में उपस्थिति में सुधार होगा और बच्चों को पौष्टिक भोजन के साथ-साथ समाज में शिक्षा असमानता की खाई भी कम होगी।
तिथि भोजन की अवधारणा को व्यापक रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। तिथि भोजन एक सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम है, जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्योहारों पर बच्चों को भोजन उपलब्ध कराते हैं।
योजना का सामाजिक अंकेक्षण सभी जिलों में अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि उच्च रक्ताल्पता वाले आकांक्षी जिलों और जिलों में बच्चों को पूरक पोषाहार सामग्री उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।
वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल की अवधि के लिए स्कूलों में पीएम-पोषण राष्ट्रीय योजना पर केंद्र सरकार की ओर से 54061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से 31,733.17 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
केंद्र सरकार खाद्यान्न पर लगभग 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत वहन करेगी, जिसका कुल परिव्यय 1,30,794.90 करोड़ रुपये है। अधिकारियों के अनुसार, 2020-21 के दौरान केंद्र ने योजना में 24,400 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जिसमें खाद्यान्न पर लगभग 11,500 करोड़ रुपये शामिल हैं।
नई योजना के तहत इसके कार्यान्वयन में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थो के उपयोग को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।