नई दिल्ली, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने जो सम-विषम की नीति लागू की है, उसकी जगह उसे अनिवार्य रूप से ‘लास्ट डिजिट राशनिंग’ यानी आखिरी अंक पर नियंत्रण के विचार को अपनाना चाहिए। प्रदूषण कम करने में यह अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होगा।
परिसंघ ने कहा है कि वाहनों के ‘लास्ट डिजिट ऑटोमोबाइल राशनिंग’ का अर्थ यह है कि वाहनों के पंजीयन प्लेट की आखिरी संख्या यदि एक है तो उसे सड़कों पर माह की 1, 11, 21 और 31 तारीख को नहीं चलने दिया जाए। इसी तरह दो है तो 2, 12 और 22 तारीख को वह वाहन नहीं चले। इसी तरह की व्यवस्था अन्य अंकों से समाप्त होने वाले वाहनों के लिए हो।
इसमें कहा गया है कि ‘लास्ट डिजिट राशनिंग’ के दायरे में सभी वाहनों को शामिल किया जाए, जिनमें कार, दोपहिया, टैक्सी, जिनमें बड़ी संख्या में डीजल और वाणिज्यिक वाहन भी रहें। सिर्फ सीएनजी वाले वाहनों, एम्बुलेंस, अग्निशमन सेवा और पुलिस वाहनों को ही छूट रहे।
सीआईआई ने कहा है कि उसने जो अध्ययन कराया है, उससे पता चलता है कि यदि कोई वाहन वर्ष के सभी 365 दिन 10 किलोमीटर चले तो वह 9.4 लाख ग्राम कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जित करेगा। यदि दिल्ली में पंजीकृत सभी वाहन इतने ही दिन इतने ही किलोमीटर चलें तो राजधानी के पर्यावरण में 10 लाख 28 हजार टन कार्बन उत्सर्जित करेंगे।
अब यदि सम-विषम योजना केवल गैर सीएनजी संचालित निजी कारों पर हर तीन माह पर 15 दिन या साल में दो माह लागू हुआ तो उत्सर्जन में कमी केवल 4,823 टन की आएगी। यह साल भर में होने वाले उत्सर्जन का .37 फीसदी है।
दूसरी तरफ यदि ‘लास्ट डिजिट ऑटोमोबाइल राशनिंग’ योजना साल भर लागू की जाए तो इससे प्रति वर्ष उत्सर्जन में 10,549 टन की कमी आएगी। इसका अर्थ है कि इससे साल में होने वाले कुल उत्सर्जन में .82 फीसदी की कमी आएगी।
परिसंघ ने कहा है, “इसे लागू करने से सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर बहुत अधिक दवाब नहीं पड़ेगा। हम राज्य सरकार को सुझाव देते हैं कि इसे कम से कम एक माह लागू करने पर विचार करे।”
दिल्ली में 31 मार्च, 2015 तक 26 लाख से अधिक पंजीकृत वाहन हैं।
दिल्ली में अभी सम-विषम का दूसरा चरण लागू किया गया है। यह 15 से 30 अप्रैल तक चलेगा। इसके तहत विषम नंबर के वाहनों को विषम तिथियों को चलने की अनुमति है, जबकि सम संख्या के वाहनों को सम तिथियों को चलने की अनुमति है।
इस योजना में दोपहिया वाहनों, सीएनजी वाहनों, महिला चालक द्वारा संचालित और अतिविशिष्ट लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वाहनों को छूट मिली हुई है।