नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि अगर सम-विषम यातायात प्रतिबंध योजना राष्ट्रीय राजधानी में पुन: लागू होती है तो वह वकीलों को इस योजना से छूट देने पर विचार करेगी।
दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंतनाथ की खंडपीठ से यह बात कही।
मेहरा के तर्क को रिकार्ड करने के बाद पीठ ने कहा, “दिल्ली सरकार ने कहा कि चूंकि सम-विषम यातायात प्रतिबंध योजना 30 अप्रैल को समाप्त होने वाली है, इसलिए अगर यह योजना फिर लागू हुई तो याचिकाकर्ता के तर्को पर विचार किया जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि सोमवार को उच्च न्यायालय ने सरकार से वकीलों को इस योजना से छूट देने की संभावना के बारे में पूछा था।
सम-विषम यातायात प्रतिबंध योजना के तहत सम-विषम नंबरों से पंजीकृत चार पहिए वाले वाहनों को वैकल्पिक तिथियों के आधार पर राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे के बीच 15 से 30 अप्रैल तक चलना है।
यह योजना रविवार को लागू नहीं है। इस योजना के तहत सीएनजी चालित वाहनों, एम्बुलेंसों, महिला चालकों और कुछ खास श्रेणियों के बहुत महत्वपूर्ण लोगों को छूट दी गई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव खोसला ने इस यातायात प्रतिबंध योजना के खिलाफ याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस आशय की गत 11 अप्रैल को जारी अधिसूचना एकपक्षीय, अवैध, गैर वाजिब और संविधान की भावना के प्रतिकूल है।
उन्होंने यातयात प्रतिबंध नियम के उल्ललंघन करने वालों पर लगाए जाने वाले दो हजार रुपये जुर्माना को भी चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन किए बिना इस तरह का प्रावधान किया गया है।
खोसला ने कहा कि इस अधिसूचना से कानूनी बिरादरी को विभिन्न अदालतों और न्यायाधिकरणों में अपने पेशेवर उत्तरदायित्व के निर्वहन में बाधा उत्पन्न हो रही है।
खोसला ने कहा कि यह योजना पेशेवरों की कार्य सूची का अध्ययन किए बिना जल्दबाजी में पारित की गई है।
उन्होंने कहा, “नागरिकों की निजी स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा करने में वकील न्यायालय की मदद करते हैं, इसलिए वे इस योजना से छूट के हकदार हैं।”