वाशिंगटन, 11 फरवरी (आईएएनएस)। अंटार्कटिका की बर्फ में भले ही बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन जिस तेजी से आर्कटिक सागर की बर्फ पिछल रही है, वह इस कमी की भरपाई नहीं कर सकती। राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
कुल मिलाकर ग्रह का समुद्री बर्फ 35 हजार वर्ग किलोमीटर सालाना की दर से घट रही है।
मैरिलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोदार्द स्पेस फ्लाइट सेंटर में जलवायु वैज्ञानिक तथा अध्ययन के लेखक क्लेयर पार्किं सन ने कहा, “बीते सितंबर से भले ही अंटार्कटिक सागर में बर्फ बढ़ रही है, लेकिन वैश्विक तौर पर समुद्री बर्फ में कमी देखी जा रही है।”
पार्किं सन ने कहा, “ऐसा इसलिए है, क्योंकि आर्कटिक सागर में बर्फ पिघलने की दर अंटार्कटिक सागर में बनने बाली बर्फ की दर से अधिक है।”
शोधकर्ताओं ने नवंबर 1978 से लेकर दिसंबर 2013 तक के अध्ययन के लिए नासा तथा अमेरिकी रक्षा उपग्रह विभाग के आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
इन 35 वर्षो के दौरान वैश्विक बर्फ में तेजी से कमी दर्ज की गई है। साल 1979-96 के बीच समुद्री बर्फ में कमी लगभग 21,500 वर्ग किलोमीटर सालाना थी।
वहीं साल 1996-2013 के बीच समुद्री बर्फ में कमी दोगुनी दर्ज की गई। इस दौैरान औसत कमी सालाना 50,500 वर्ग किलोमीटर सालाना दर्ज की गई।
यह अध्ययन पत्रिका ‘क्लाइमेट’ में प्रकाशित हुआ है।