दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां दिखाई गई हैं। जिनमें विशेष रुप से राधा-कृष्ण की मूर्ति है। पर इन सबसे अलग कुछ और भी जिस वजह से ये और मंदिरों से अलग है।
संस्कृति विहार, कुण्ड और संगीतमय फव्वारे- दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में संस्कृति विहार में 12 से 14 मिनट का नौका विहार होता है। इस नौका का आकार मयूर के जैसा है। इस नौका विहार के माध्यम से 10,000 हजार वर्ष पुरानी भारतीय सभ्यता के दर्शन दर्शकों को होते हैं। इस नौका विहार के माध्यम से शून्य की गणना, गुरुत्वाकर्षण की खोज आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नौका विहार के अतिरिक्त इस मंदिर में लाल पत्थरों से बना हुआ एक विशालतम कुण्ड है। यह कुण्ड प्राचीन भारतीय परम्परा को दिखाता है। 300 फीट लंबा यह कुण्ड भारत का सबसे बड़ा कुण्ड है। इस कुण्ड के माध्यम से जल, ज्योति और जीवन का अनोखा नजारा देखते ही बनता है। अक्षरधाम महालय के तीन ओर नारायण सरोवर की रचना की गई है। इसके अतिरिक्त मंदिर में कमल के फूल के समान बना उद्यान है। जिसकी शोभा सभी के मन को लुभाती है।
संस्कृतियों का बेजोड संगम है-
यह मंदिर देश की विभिन्न संस्कृतियों का ऐसा बेजोड संगम है जहां पर भारत की 10हजार साल पुरानी रहस्यमय सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है।
मयूर द्वार
भारत का राष्ट्रीय पक्षी मयूर, अपने सौन्दर्य, संयम और शुचिता के प्रतीक रूप में भगवान को सदा ही प्रिय रहा है। यहां के स्वागत द्वार में परस्पर गुंथे हुए भव्य मयूर तोरण एवं कलामंडित स्तंभों के 869 मोर नृत्य कर रहे हैं। यह शिल्पकला की अत्योत्तम कृति है।
दश द्वार
ये द्वार दसों दिशाओं के प्रतीक हैं, जो कि वैदिक शुभकामनाओं को प्रतिबिंबित करते हैं।
भक्ति द्वार
यह द्वार परंपरागत भारतीय शैली का है। भक्ति एवं उपासना के 208 स्वरूप भक्ति द्वार में मंडित हैं।
कीर्तिमान
अक्षरधाम मंदिर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में 26 दिसम्बर 2007 को बुद्धवार के दिन शामिल कर लिया गया है। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वामी नारायण संस्थान के प्रमुख स्वामी महाराज को विश्व रिकार्ड संबंधी दो प्रमाणपत्र भेंट किए। माइकल विटी ने बोछासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामी नारायण संस्थान को दो श्रेणियों के तहत प्रमाणपत्र दिए हैं। इनमें एक प्रमाणपत्र एक व्यक्ति विशेष द्वारा सर्वाधिक हिंदू मंदिरों के निर्माण तथा दूसरा दुनिया का सर्वाधिक विशाल हिंदू मंदिर परिसर की श्रेणी में दिया गया।
यह पहला मौका है जब गिनीज बुक ने अपने विशाल धार्मिक स्थलों की सूची में किसी हिंदू मंदिर को मान्यता प्रदान की है।