लखनऊ, 12 सितंबर – उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा तथा 11 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर सीटों पर सीधे मुकाबले की स्थिति स्पष्ट होती दिख रही है, परंतु कई क्षेत्रों में त्रिकोणीय संघर्ष के हालात भी बने हैं। उपचुनाव के नतीजों से दिल्ली व लखनऊ की सरकारों पर भले ही कोई असर न हो, परंतु उपचुनाव के दौरान साख बचाने की जंग रोचक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के परिवार की तीसरी पीढ़ी चुनाव में है। करीब तीन दशक से सपा के कब्जे वाली इस सीट पर मुलायम ने पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया हैं। भाजपा ने यहां से प्रेम सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है।
सांप्रदायिक दंगे के बाद सबकी निगाह भाजपा के कब्जे वाली सहारनपुर नगर सीट पर है। भाजपा के राजीव गुम्बर को सपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री संजय गर्ग के अलावा कांग्रेस के मुकेश चौधरी से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। दस उम्मीदवारों की यह जंग जीतने के लिए सपा ने मंत्रियों की फौज उतारी है।
कुंवर भारतेंदु के सांसद बनने से खाली हुई बिजनौर सीट पर भाजपा के हेमेंद्र पाल सिंह को विपक्षी मतों में बिखराव से ताकत मिलती दिख रही है। सपा की रुचिवीरा के लिए कांग्रेस के हुमायूं बेग और पीस पार्टी के जमील अहमद मुश्किलें बढ़ाते दिख रहे हैं। कुल दस प्रत्याशियों के मुकाबले में दो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी उतरे हैं।
ठाकुरद्वारा में सीट बचाने के लिए भाजपा ने राजपाल चैहान को आगे किया है, परंतु उनको सपा के नवाब जान व कांग्रेस के मौहम्मद उल्ला खान से ज्यादा भितरघात का खतरा सता रहा है। 11 प्रत्याशियों के मुकाबले में सीधी टक्कर सपा व भाजपा के बीच ही मानी जा रही है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाली नोएडा सीट को भाजपा अपने असर वाली मानती है। भाजपा उम्मीदवार विमला बाथम को सपा की काजल शर्मा से चुनौती मिल रही है। चर्चित विधायक श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित की पत्नी काजल शर्मा के लिए कांग्रेस के राजेंद्र अवाना भी मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। इस क्षेत्र से कुल 11 उम्मीदवार तकदीर आजमा रहे हैं।
निघासन में इस बर पिछड़ों की लड़ाई होगी जिसमें दलित मतदाता निर्णायक साबित होंगे। सात प्रत्याशियों के मुकाबले में सपा के कृष्ण गोपाल पटेल, कांग्रेस के शिव भगवान एवं भाजपा के रामकुमार वर्मा के बीच फैसला होना है।
भाजपा प्रत्याशी रामकुमार वर्मा प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। वर्मा को सपा उम्मीदवार पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है। दलितों वोटों के रुझान पर जीत हार का निर्णय होगा।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र में स्थित लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट पर दूसरे केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र व लालजी टंडन की साख भी जुड़ी है।
भाजपा ने पूर्व सांसद लालजी टंडन के पुत्र गोपाल टंडन को प्रत्याशी बनाया है। सपा की जूही सिंह एवं कांग्रेस के रमेश श्रीवास्तव ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। निर्दल प्रत्याशी शिवपाल सिंह की मौजूदगी को भी अहम मानी जा रही है।
हमीरपुर में सपा व भाजपा में कांटे की टक्कर है। क्षेत्र में कुल 11 उम्मीदवार चुनावी जंग में जोर आजमाइश को उतरे हैं, परंतु सपा के पूर्व विधायक शिवचरण प्रजापति और भाजपा प्रत्याशी जगदीश प्रसाद के बीच कांटे का मुकाबला है। वहीं कांग्रेस के केशव बाबू शिवहरे भी ताकत दिखाने में जुटे हैं। जातीय वोटों के बिखराव पर ही भाजपा सीट बचाए रखने की आस लगाए हैं।
सिराथू विधानसभ में भाजपा के सामने प्रतिष्ठा बचाने का संकट खड़ा हो गया है। भाजपा सांसद केशव मौर्य के सामने अपने विधानसभा क्षेत्र में केसरिया फहराने की चुनौती है क्योंकि भाजपा उम्मीदवार संतोष पटेल को सपा प्रत्याशी वाचस्पति पासी से कड़ी चुनौती मिल रही है। 15 प्रत्याशियों वाले इस क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार लालचंद कुशवाहा की भूमिका भी गेम चेंजर जैसी मानी जा रही है।
बलहा विधानसभा सीट पर सपा-भाजपा में जोर आजमाइश हो रही है। सावित्रीबाई फुले के सांसद निर्वाचित होने के बाद रिक्त हुई सीट पर फिर से कमल खिलाना भाजपा के लिए मुश्किल दिख रहा है।
सपा उम्मीदवार बंशीलाल बौद्ध का बसपा से पुराना रिश्ता मददगार साबित हो रहा है। भाजपा ने कई बार विधायक रहे अक्षयवर लाल को मैदान में उतारा है। सबसे कम उम्मीदवार वाली इस चुनावी जंग की रोचकता मंत्रियों के दखल के कारण भी बढ़ी है।
साध्वी उमा भारती के सांसद चुने जाने के बाद खाली चरखारी विधानसभा सीट पर भाजपा को साख बचाने की चुनौती है। कुल छह उम्मीदवारों के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी गीता सिंह व सपा के कप्तान सिंह राजपूत से बीच ही सीधी टक्कर है लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार रामजीवन सिंह की भूमिका कमतर नहीं आंकी जा रही।
रोहनियां में भाजपा और अपना दल के गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा व अपना दल गठबंधन की परख होगी, वहीं कुर्मी समाज में बादशाहत का फैसला भी होगा।
गठबंधन ने अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल को चुनावी जंग में उतरा है। सांसद अनुप्रिया पटेल की माता कृष्णा को सपा प्रत्याशी महेंद्र पटेल से खासी चुनौती मिल रही है। महेंद्र प्रदेश सरकार में मंत्री सुरेंद्र पटेल के भाई हैं। पटेलों की इस जंग में कांग्रेस की भावना पटेल भी शामिल हैं। कुल 16 उम्मीदवार मैदान में है।
उप्र में सहारनपुर नगर, बिजनौर, ठाकुरद्वारा, नोएडा, निघासन, लखनऊ पूर्वी,हमीरपुर, चरखारी, सिराथू, बलहा (आरक्षित) और रोहनिया विधानसभा सीटें लोकसभा चुनाव के बाद खाली हो गई थीं।
उल्लेखनीय है कि इन सभी सीटों से चुने गए विधायक डॉ. महेश शर्मा, कलराज मिश्र, अजय मिश्र, सावित्री बाई फुले, साध्वी निरंजना ज्योति, उमा भारती, कुंवर भारतेंदु, कुंवर सर्वेश कुमार सिंह, राघव लखनपाल, केशव प्रसाद तथा अनुप्रिया पटेल चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए थे।
इसके साथ ही आजमगढ़ और मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से इस्तीफा दे दिया था।