नई दिल्ली– भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) से सिर्फ हर ब्लॉक में बिचौलिए ही पैदा हुए हैं और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने सिर्फ भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा दिया है.
झारखंड से सांसद दुबे ने सदन में अनुदान की अनुपूरक मांग पर चर्चा के दौरान यह बात कही. इस दौरान विपक्ष ने सरकार पर अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर निशाना साधा और कहा कि गैर-पारदर्शी तरीके से एयर इंडिया को टाटा को बेच दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुबे ने यह तर्क देते हुए कि पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों से अर्थव्यवस्था बाधित हुई और यूपीए के शासनकाल के दौरान संचालन में कथित भ्रष्टाचार की वजह से एयर इंडिया नुकसान में डूबती चली गई.
उन्होंने कहा, ‘2004 में अति वामपंथी सरकार सत्ता में आई. राष्ट्रीय सलाहकार परिषद क्या कर रही थी? इसका भुगतान करदाताओं के पैसे से किया गया और यह आरटीआई लाई गई. क्या आरटीआई से कोई बदलाव हुआ? इससे हर ब्लॉक में सिर्फ बिचौलिए पैदा हुए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आरटीआई या भूमि अधिग्रहण अधिनियम से क्या व्यापक बदलाव आया? क्या मनरेगा में कोई भ्रष्टाचार नहीं है? क्या हम मनरेगा के जरिये भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं?’
दुबे ने क्रिप्टकरेंसी का मुद्दा भी उठाया और सरकार को इस पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी. सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल को रेगुलेट करने के लिए बिल लाने की योजना बनाने का ऐलान किया है.
इस चर्चा के दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि मनरेगा योजना को और सशक्त करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को एक साथ मिलकर बेहतर तरीके से काम करने की जरूरत है. मनरेगा की जरूरत क्यों हैं? बेरोजगारी की वजह से इसकी स्पष्ट जरूरत है.
सुले ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जवाबदेही हमारे (राज्य) और केंद्र सरकार पर है, क्योंकि मनरेगा समाज के सबसे निचले तबले के लोगों के लिए बना कार्यक्रम है, इसलिए हमें इस कार्यक्रम को और सशक्त करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि इसके साथ ही हम इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि मनरेगा की जरूरत अब अधिक से अधिक है, क्योंकि यह सिद्ध हुआ है कि बेरोजगारी की चुनौती महामारी के समय में बढ़ रही है.’
इस चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि कोविड-19 महामारी और सरकार की अदूरदर्शी नीतियों की वजह से आर्थिक सुधार के लिए अनिश्चितता के दौर की शुरुआत की.
थरूर ने कहा, ‘6.8 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा नहीं होने जा रहा. जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कुल सरकारी ऋण मार्च 2019 में 70 फीसदी से बढ़कर मार्च 2021 में 90 फीसदी हो गया है.’
उन्होंने आगे कहा ‘1.7 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य बड़े अंतर से चूकने जा रहा है. सरकार पूर्व में भी अपने विनिवेश लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाई थी. एयर इंडिया के विनिवेश में सरकार अभी भी 46,000 करोड़ रुपये के कर्ज की उत्तरदायी (Liable) है और इसे करदाताओं पर थोपा जा रहा है.’
रिकॉर्ड के मुताबिक, 61,562 करोड़ रुपये के एयर इंडिया के कुल कर्ज में से टाटा कंपनी 15,300 करोड़ रुपये वहन करेगी और सरकार को अतिरिक्त 2,700 करोड़ रुपये नकद देगी. सरकार को अभी भी 43,562 करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ उठाना होगा, जिसमें से संपत्ति की बिक्री से 14,718 करोड़ रुपये आने की संभावना है.
थरूर ने कहा कि सरकार ने ऐसे समय में मनरेगा बजट में कटौती की, जब देश के इतिहास में बेरोजगारी दर सबसे अधिक है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो अतिरिक्त अनुदान मांगा है, वह मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.
उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘सरकार की दो योजनाएं हैं, जो एमएसपी के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करती हैं. वे हैं- ‘बाजार हस्तक्षेप तथा मूल्य समर्थन योजना’ और ‘पीएम-आशा’. सरकार ने इन दोनों योजनाओं के बजट में कटौती की है. कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद वे एमएसपी का वादा कैसे कर पाएंगे, जबकि उन्होंने एमएसपी के लिए उपलब्ध धनराशि में 25 फीसदी की कटौती की है.’