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 संयुक्त राष्ट्र और भारत की ऐतिहासिक यात्रा पर सचित्र पुस्तक | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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संयुक्त राष्ट्र और भारत की ऐतिहासिक यात्रा पर सचित्र पुस्तक

संयुक्त राष्ट्र, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के कंधा से कंधा से मिलाकर की गई भारत की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी की पुस्तक ‘इंडिया एंड द युनाइटेड नेशन्स-अ फोटो जर्नी : 1945-2015’ में किया गया है। इसमें ऐतिहासिक तथ्यों और दुर्लभ चित्रों के माध्यम से भारत के योगदान के बारे में बताया गया है।

संयुक्त राष्ट्र, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के कंधा से कंधा से मिलाकर की गई भारत की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी की पुस्तक ‘इंडिया एंड द युनाइटेड नेशन्स-अ फोटो जर्नी : 1945-2015’ में किया गया है। इसमें ऐतिहासिक तथ्यों और दुर्लभ चित्रों के माध्यम से भारत के योगदान के बारे में बताया गया है।

जब 1945 में संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ था, तो भारत उपनिवेश ही था। लेकिन उस समय तक भारत की स्वतंत्रता अवश्यंभावी लगने लगी थी और आने वाले समय में अपनी वैश्विक महत्ता को पहचानते हुए भारत संयुक्त राष्ट्र की स्थापना करने वाला सदस्य बना।

अपनी पुस्तक में मुखर्जी लिखते हैं कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाले यूएन चार्टर के निर्माण में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता रामास्वामी मुदलियार और देशी रियासतों के प्रतिनिधि वी.टी. कृष्णमाचारी ने कि या था। चार्टर 24 अक्टूबर 1945 को पूर्ण रूप से अस्तित्व में आया, इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई। इसीलिए इस दिन को हर साल संयुक्त राष्ट्र स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

374 पेजों की इस पुस्तक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि ये ऐसे समय पर आई है जब सुरक्षा परिषद में बदलाव की बातें जोर पकड़ रही हैं और सेवाओं को देखते हुए भारत स्थाई सदस्यता का प्रबल दावेदार बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते महीने अपनी संयुक्त राष्ट्र की यात्रा के दौरान किताब की प्रति संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून को दी थी।

मुखर्जी किताब की भूमिका में लिखते हैं, “पुस्तक में इस बात को विस्तारपूर्वक बताया गया है कि भारत और संयुक्त राष्ट्र ने कैसे एक दूसरे को प्रभावित किया है।

मुखर्जी पुस्तक में यूएन के प्रारंभिक काल में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन करते हैं। इतिहास में पहली बार विजय लक्ष्मी पंडित (जवाहर लाल नेहरू की बहन) ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, वो ऐसा करने वाली पहली महिला बनीं। 1953 में वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनीं। वह इस पद को हासिल करने वाली पहली महिला थीं।

हंसा मेहता महिलाओं की स्थिति पर 1946 में बने उप आयोग की सदस्य बनीं और मानवाधिकारों में महिलाओं की महत्ता को शामिल कराया।

भारत ने ताईवान को हटाकर चीन को स्थाई सदस्य बनाने के पक्ष में मतदान किया। जब दक्षिण कोरिया में कम्युनिस्ट सेना ने हमला किया तो यूएन ने इसके खिलाफ सैन्य बलों को भेजा। हलांकि भारत इसमें सैन्य रूप से शामिल नहीं हुआ पर भारत ने नागरिकों और सेना की सेवा कर मिसाल पेश किया।

यूएन के 69 में 48 शांति मिशन में भारत शामिल हुआ और इस प्रकार सबसे बड़ा सैन्य बल प्रदान करने वाला देश बना।

इन ऐतिहासिक घटनाओं के अलावा पुस्तक में इस वर्ष पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का भी जिक्र है।

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