अनिल सिंह(भोपाल)-हाथी ले कर घर-घर भिक्षाटन करने वाले साधू वेश-धारी दरअसल साधू के नाम पर धोखा देते हैं.जब इनकी पड़ताल की गयी तो अलग ही कहानी सामने आयी.ये लोग दरअसल गृहस्थ हैं और किसी मंदिर या मठ से जहाँ हाथी पाले गए रहते हैं से किराए पर हाथी ले कर निकलते हैं और घर-घर पैसे मांगते हैं.
ये लोगों को वेश बना कर यह दिखाते हैं जैसे ये किसी मंदिर या मठ के साधू हैं और उस मठ की व्यवस्था के लिए दान मांग रहे हैं जबकि ऐसा है नहीं ये व्यक्तिओं का वह समूह होता है जो प्रत्येक धार्मिक मेले में आपको विभिन्न रूपों में भिक्षाटन करते मिल जायेंगे.
कुम्भ में ये कापालिक का भेष बना कर पैसे मांगते हैं.ट्रेनों में ये विभिन्न देवताओं के नाम के पैसे मांगते देखे जाते हैं.
इन्होने धर्म की व्यवस्था को एक पेशेवर रूप दे दिया है,किसी मंदिर या मठ से हाथी किराये पर ले कर उसे मासिक किराया अदा किया जाता है और बाकी बचे पैसे ये समूह आपस में बाँट लेता है.मध्यप्रदेश में चूंकि सिंहस्थ की आहट हो चुकी है अतः ये धोखेबाज अब मध्यप्रदेश का रुख कर चुके है ,ये अपने आप को मैहर से आया बताते है जबकि ये सतना,चित्रकूट और इलाहाबाद के इलाकों के गावों में निवासरत रहते हैं और पूरे देश में इस थारह की धोखेबाजी को अंजाम देते हैं.