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 शोध के नाम पर भोपाल गैस पीड़ितों को बनाया जा रहा है ‘गिनी पिग’: एनजीओ | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

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शोध के नाम पर भोपाल गैस पीड़ितों को बनाया जा रहा है ‘गिनी पिग’: एनजीओ

bhopal-gas-tragedy340__2019686841भोपाल गैस त्रासदी के प्रभावितों ने भारतीय चिकित्सा परिषद (आईसीएमआर) द्वारा गठित राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य शोध संस्थान (एनआईआरईएच) की जेनेटिक एवं इपीजेनेटिक शोध परियोजना पर आरोप लगाया है कि उसके द्वारा गैस पीड़ितों को ‘गिनी पिग’ बनाया जा रहा है.

गैस पीड़ितों के बीच कार्यरत एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष समिति की संयोजक साधना कार्णिक प्रधान ने कहा कि जेनेटिक एवं इपीजेनेटिक शोध परियोजना में आईसीएमआर की सर्वोच्च वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा गैस पीड़ितों पर शोध हेतु तय ‘प्रोटोकॉल’ तोड़कर मनमाने तरीके से शोध किया जा रहा है.

साधना ने आशंका जताई है कि विशेषज्ञ निर्देशों की अवहेलना कर शोध कार्य में गैस पीड़ितों का 15 एमएल खून और सांस संबंधी बीमारियों के नमूने की जांच एनआईआरईएच ले जाकर की जा रही है, जिसका दुरूपयोग होने की संभावना है.

समिति से जुड़े गैस पीड़ितों ने अपनी लिखित शिकायत आईसीएमआर के महानिदेशक एवं उच्चतम न्यायालय की सलाहकार समिति को भेजने का फैसला किया है तथा मांग की है कि दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की जाए.

शोध के नाम पर भोपाल गैस पीड़ितों को बनाया जा रहा है ‘गिनी पिग’: एनजीओ Reviewed by on . भोपाल गैस त्रासदी के प्रभावितों ने भारतीय चिकित्सा परिषद (आईसीएमआर) द्वारा गठित राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य शोध संस्थान (एनआईआरईएच) की जेनेटिक एवं इपीजेनेटिक भोपाल गैस त्रासदी के प्रभावितों ने भारतीय चिकित्सा परिषद (आईसीएमआर) द्वारा गठित राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य शोध संस्थान (एनआईआरईएच) की जेनेटिक एवं इपीजेनेटिक Rating:
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