मुंबई, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। संसद में बजट सत्र के दूसरे हिस्से में विधेयकों को पारित करा पाने की सरकार की क्षमता पर आगामी सप्ताहों में शेयर बाजार की दिशा तय होगी, जो अभी कंपनियों के कमजोर तिमाही प्रदर्शन से मंद चल रहा है।
मुंबई, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। संसद में बजट सत्र के दूसरे हिस्से में विधेयकों को पारित करा पाने की सरकार की क्षमता पर आगामी सप्ताहों में शेयर बाजार की दिशा तय होगी, जो अभी कंपनियों के कमजोर तिमाही प्रदर्शन से मंद चल रहा है।
विश्लेषकों के मुताबिक, नए सुधार की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों, पिछली नीतिगत घोषणाओं के कार्यान्वयन, अवसंरचना के लिए निवेश में वृद्धि और विनिवेश बढ़ने के संकेत से बाजार में तेजी आ सकती है।
कोटक सिक्युरिटीज के प्राइवेट क्लाइएंट ग्रुप रिसर्च के प्रमुख दीपेन शाह ने कहा, “संसद में विधेयक पारित करा पाने की सरकार की क्षमता से आर्थिक सुधार की उसकी क्षमता का पता चलेगा।”
शाह ने आईएएनएस से कहा, “आने वाले सप्ताहों में निवेशकों की निगाह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), भूमि विधेयक, काला धन वापस लाने से संबंधित विधेयक और संसद में अन्य सुधारात्मक कार्यक्रमों से संबंधित सरकार की योजना पर टिकी रहेगी।”
बजट सत्र के शेष हिस्से में सरकार संसद में लटके हुए विधेयकों को पारित कराने की पुरजोर कोशिश कर सकती है।
जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने कहा कि ग्रीस कर्ज संकट, मध्य पूर्व में अस्थिरता और हाल में तेल मूल्य में देखी जा रही वृद्धि से बाजार में अस्थिरता आ सकती है।
नेवगी ने कहा, “ग्रीस कर्ज संकट, चीन की सुस्त हो रही अर्थव्यवस्था, मध्य पूर्व में अस्थिरता और तेल मूल्य वृद्धि से भारतीय बाजार प्रभावित हो सकता है। लेकिन राज्यसभा में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करा पाने की सरकार की क्षमता बाजार में तेजी लाने का कार्य कर सकती है।”
नेवगी ने कहा कि भारतीय बाजार ऐसी स्थिति में है जहां कंपनियों की आय निवेशकों की उम्मीदों के अनुरूप नहीं है।
नेवगी ने कहा, “ऊंचाई पर होने के बाद भी भारतीय शेयर बाजार निवेशकों के लिए इसलिए आकर्षक बना हुआ है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद है, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ सकता है। निवेश हालांकि तिमाही परिणामों के साथ कंपनियों द्वारा पेश किए जाने वाले भावी आय के अनुमानों पर ही निर्भर करेगा।”
विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एशियाई विकास बैंक, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), मूडीज और इकॉनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट जैसी संस्थाओं द्वारा भारतीय बाजार में विकास की संभावना प्रस्तुत किए जाने के बावजूद हाल में भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह 457.28 अंकों या 1.58 फीसदी गिरावट के साथ बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि आने वाले समय में निवेशकों की निगाह रिजर्व बैंक पर भी टिकी रहेगी, क्योंकि महंगाई में गिरावट का रुझान रहने और वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ब्याज दर में कटौती शुरू कर देने के कारण रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती किए जाने की उम्मीद बनी है।