चीन से अलग होने की मुहिम को नए सिरे से शुरु करने के लिए निर्वासन में रह रहे तिब्बती सरकार नेता इस हफ्ते दलाई लामा से मिल रहे हैं. इस मुहिम के लिए मीडिया अभियान भी शुरू किया जाएगा.
भारत के धर्मशाला शहर में तिब्बती नेता निर्वासन में रह रहे हैं. दलाई लामा बार बार कह चुके हैं कि उन्हें चीन से स्वतंत्रता नहीं, बल्कि स्वायत्तता चाहिए. इस बात को बेहतर ढंग से समझाने के लिए वे एक वेबसाइट शुरू करेंगे और सोशल वेबसाइटों से भी अपनी बात रखेंगे. वे “बीच का रास्ता” निकालना चाहते हैं.
तिब्बतियों का मानना है कि चीन उनके धर्म और संस्कृति में दखल दे रहा है. इस मुद्दे को लेकर तिब्बतियों का लंबे वक्त से चीन के साथ संघर्ष चल रहा है. 2009 के बाद से करीब 100 तिब्बतियों ने इस मामले को लेकर आत्मदाह कर लिया है.
आत्मदाह न करें
तिब्बतियों के निर्वासित सरकार के सूचना मंत्री डिक्की छोयांग का कहना है, “हमने तिब्बतियों से अपील की है कि वे आत्मदाह न करें और हम चीनी सरकार से अपील करते हैं कि वे तिब्बतियों की बात सुनें और उनके खिलाफ दमनकारी कार्रवाई न करें.” उन्होंने कहा, “हम अभियान चलाना चाहते हैं, जिससे साबित कर सकें कि इस मसले का समाधान मुमकिन है.”
दलाई लामा का करिश्मा
हालांकि दलाई लामा ने सार्वजनिक जीवन से अलग होने का फैसला किया है. फिर भी गुरुवार को होने वाले कार्यक्रम में वह खास तौर पर शिरकत करेंगे. धर्मशाला में होने वाले इस आयोजन को लेकर तिब्बती ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना चाहते हैं.