अनिल सिंह (भोपाल)- शीतकालीन छुट्टियों में नन्हे बच्चे,घरेलू महिलायें,इंजीनियरिंग के विद्यार्थी सीख रहे हैं संस्कृत भाषा.यह अभियान चल रहा है संघ के अनुसांगिक संगठन संस्कृत भारती के आयोजन के तहत और सिखा रहे हैं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के बीएड और एम्एड के छात्र और छात्रायें.यह शिक्षा भोपाल में 108 स्थानों पर दी जा रही है.
यह शिक्षा देने का कार्यक्रम 3 जनवरी से 12 जनवरी तक चलेगा,इसमें 127 बीएड और 37 एम्एड के छात्र छात्रायें सम्मिलित हैं जो निरंतर इस शिक्षा को प्रदान कर रहे है.इस शिक्षा कार्यक्रम को इनके प्रशिक्षण कार्यक्रम का एक हिस्सा माना जायेगा.
इस शिक्षा कार्यक्रम में छोटे-छोटे बच्चों को संस्कृत में बात करते देखना-सुनना मनभावन लगता है.इनकी मधुर वाणी से जब संस्कृत के शब्द उच्चारित होते हैं तब व्यक्ति अपने आप को दिव्य लोक में अवस्थित महसूस करता है.इन्हें मनोभाव से शिक्षा प्रदान करतीं दो शिक्षिकाओं से हमने बात की तब उन्होंने बताया की इन नौनिहालों को शिक्षा प्रदान करते हुए उन्हें भी अच्छा लगता है,जब ये नौनिहाल संस्कृत में हंसी-ठिठोली करते हैं या आपस में वाद-विवाद करते हैं तब प्रतीत होता है की यह देव-वाणी देवताओं के मुख के प्रस्फुटित हो रही है.भोपाल स्थित विश्व संवाद केंद्र में कु.रीति जैन और कु. प्रियंका सिंह अध्यापिका हैं.
इस शिक्षा कार्यक्रम में वस्तुओं को संबोधित करने की जानकारी खिलौनों के माध्यम से दी जा रही है जिससे बच्चे दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुओं को भी संस्कृत में उच्चारित करने में सहजता महूस कर रहे हैं.