मैं ऐसी भावना करता हूँ, कि हे दयालु पशुपति देव! संपूर्ण रत्नों से निर्मित इस सिंहासन पर आप विराजमान होइए। हिमालय के शीतल जल से मैं आपको स्नान करवा रहा हूँ। स्नान के उपरांत रत्नजड़ित दिव्य वस्त्र आपको अर्पित है। केसर-कस्तूरी में बनाया गया चंदन का तिलक आपके अंगों पर लगा रहा हूँ। जूही, चंपा, बिल्वपत्र आदि की पुष्पांजलि आपको समर्पित है। सभी प्रकार की सुगंधित धूप और दीपक मानसिक प्रकार से आपको दर्शित करवा रहा हूँ, आप ग्रहण कीजिए।
शिव मानस मन्त्र को पढवा और उसका हिंदी अनुवाद करवा कर मप्र के धार्मिक न्यास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने ओंकारेश्वर के पंडों को निरुत्तर कर दिया. यह उस घटना के परिपेक्ष्य में हुआ जिसमें पंडों ने क्षरण होते शिवलिंग को बचाने हेतु जल ,दूध और अन्य सामग्री ना चढाने का प्रशासन का निर्णय बदलने की मांग की थी और ना बदलने पर मुस्लिम धर्म अपनाने की धमकी दी थी.
मप्र शासन में प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव वहां पहुंचे एवं पंडों को ” शिव मानस मन्त्र” का उच्चारण करने को कहा.पण्डे तुरंत उच्चारण करने लगे इस पर मनोज श्रीवास्तव ने उस मन्त्र का हिंदी अनुवाद उनसे करवाया तो पण्डे अचंभित रह गए.अधिकारी महोदय ने उन्हें समझाते हुए कहा की जब शिव को मानस रूप में अर्ध्य अर्पित किया जा सकता है तब इस पुरानी धरोहर को बचाने के लिए यह निर्णय क्यों नहीं.इस उत्तर से पण्डे निरुत्तर हो गए और विवाद का पटाक्षेप हुआ.