मुंबई, 9 नवंबर – शिवसेना ने अंतिम समय में अपना फैसला बदलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार से खुद को अलग रखा। उसने मंत्रिमंडल के नामित अपने प्रतिनिधि अनिल वाई. देसाई को वापस मुंबई बुला लिया। देसाई का नाम मंत्रिमंडल के लिए सुझाया गया था और वह रविवार अपराह्न् डेढ़ बजे होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली पहुंच चुके थे।
राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही शिवसेना के वरिष्ठ सांसद आनंदराव अडसुल ने मुंबई में कहा कि पार्टी ने तय किया है कि देसाई मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे।
समझा जाता है कि शिवसेना पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार देसाई को राज्यमंत्री बनाए जाने से नाराज है।
शिवसेना के केंद्रीय मंत्रिमंडल में पद न लेने से संशय है कि वह केंद्र सरकार में भागीदार रहेगी या नहीं। प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय न मिलने पर अनंत गीते को शनिवार देर शाम मुंबई बुलाया गया था।
इस नई तकरार से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नए नवेले मंत्रिमंडल के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। फडणवीस को बुधवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना है।
फडणवीस ने 31 अक्टूबर को अल्पमत सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली थी, और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.वी राव के आदेश के मुताबिक उन्हें दो हफ्तों के अंदर विश्वास मत हासिल करना है।
288 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के पास अपने 121 विधायक हैं और गठबंधन साझेदार राष्ट्रीय समाज पार्टी के एक विधायक के अलावा कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने शिवसेना के साथ अपने 25 साल पुराना गठबंधन 25 सितंबर को तोड़ लिया था।