(खुसुर-फुसर)– मप्र में चलते नाटकीय घटनाक्रम में कभी पक्ष और कभी विपक्ष का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है.तू डाल-डाल मैं पात -पात की तर्ज पर चालें चली जा रही हैं.दिग्विजय सिंह पिछले कई महीनों से सीना ठोंक कर कह रहे थे की व्यापम घोटाले में शिवराज सिंह और साधना सिंह का हाथ है लेकिन उनके इस तरह बार-बार दावों से खबरनवीसों का विश्वास उन पर से डगमगा गया था.
लेकिन दिग्गी ने सबूत पेश कर ही दिए अब वे झूठे हैं या सच्चे ये जांच का विषय है,शायद लोगों को दिग्गी पर भरोसा होता भी नहीं लेकिन उन्होंने हलफनामे के साथ ये सबूत पेश किये यदि ये गलत हुए तो दिग्गी का राजनीतिक और सामजिक जीवन ख़त्म हुआ समझिये.हिवराज सिंह भी पिछले कुछ महीनों पहले अपने सलाहकारों के विशवास पर यह मान चुके थे की कम से कम उन पर और साधना सिंह पर किसी तरह की आंच नहीं आयेगी बाकियों के लिए वे चिंतित नहीं थे.दिग्गी राजा के उनके कहने के अनुसार पास उपलब्ध कुछ दस्तावेजों के सार्वजनिक करते ही सत्ता-पक्ष हिल गया,कम समय में विधानसभा अनिश्चितकालीन बंद करना राजनीतिक गलियारों में सत्ता-पक्ष की बदनामी का कारण बना.
लेकिन सबसे अधिक शिवराज सिंह का आंतरिक विरोध एक पुराने नियुक्ति के मामले में दिग्विजय सिंह पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाना रहा है,हो सकता है दिग्गी दोषी हों लेकिन यह भी हो सकता है की वे ना हों.विरोध का कारण इस प्रकरण दर्ज होने का समय रहा है,जिस समय शिवराज सिंह की पर दिग्गी का राजनैतिक हमला जारी हुआ उसी समय यह प्रकरण दर्ज करवाया गया.सूत्र बताते हैं की शिवराज सिंह के पीठ पीछे वरिष्ठ नेता इस घटना से नाराज हैं क्योंकि वरिष्ठों का घनिष्ठ सम्बन्ध दिग्गी से है और वे दिग्विजय की राजनैतिक रिश्तों को निभाने की कुशलता के कायल भी हैं.खबर यह भी है की दिल्ली तक इस सन्देश को भेजा जा चूका है और वहां भी भाजपा के गलियारों में खुसुर-फुसुर चल रही है.
अब देखना है की इस राजनीतिक द्वंद में कौन जीतता है .अब शिवराज के अपने भी साथ छोड़ने लगे हैं यह शिवराज के लिए चिंता का विषय है.